भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)के वसूली नोटिसों के मुकाबले एकत्रित धन की वसूली दर पिछले दशक में दो प्रतिशत से भी कम रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने सेबी की सलाना रिपोर्टों का विश्लेषण किया। इससे पता चलता है कि सेबी ने वित्त वर्ष 2014 से 1.06 लाख करोड़ रुपये मूल्य के वसूली नोटिस भेजे और वह सिर्फ 1,768 करोड़ रुपये की ही वसूली कर सका।
शेष 98.3 प्रतिशत की वसूली व्यवहार में संभव नहीं हुई। इन नोटिसों में सामूहिक निवेश योजनाएं (सीआईएस), डीम्ड पब्लिक इश्यू (डीपीआई) और अन्य मसले शामिल हैं। वित्त वर्ष 2024 में सेबी ने 133 करोड़ रुपये की वसूली की।
सेबी की ओर से जारी रिकवरी नोटिस या डिमांड नोटिस की संख्या में इजाफा हुआ है। 31 मार्च 2024 तक कुल 6,781 रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं।
वित्त वर्ष 2024 में नियामक ने 1,337 रिकवरी नोटिस भेजे। ज्यादा नोटिसों के साथ कुल लंबित नोटिसों की संख्या बढ़कर 3,871 की ऊंचाई पर पहुंच गई।
कुल वसूली योग्य रकम 1.02 लाख करोड़ रुपये में से 63,206 करोड़ रुपये सीआईएस/डीपीआई मामलों से संबंधित हैं, जो पीएसीएल लिमिटेड और सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन से जुड़े हुए थे।