भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और आसान बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत एक कॉमन KYC फ्रेमवर्क और इंडिया डिजिटल सिग्नेचर (India Digital Signature) के जरिए सरल डॉक्यूमेंटेशन की सुविधा शामिल होगी।
पिछले एक साल में मार्केट रेगुलेटर ने FPI ऑनबोर्डिंग को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें सिर्फ सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करने वालों को राहत देना, डिस्क्लोजर नियमों में छूट देना और हाल ही में SWAGAT-FI को मंजूरी देना शामिल है। यह एक सिंगल-विंडो फ्रेमवर्क है, जो भरोसेमंद निवेशकों जैसे सरकारी स्वामित्व वाले या उनसे जुड़े फंड्स, पेंशन फंड्स और सॉवरेन वेल्थ फंड्स के लिए बनाया गया है।
बोर्ड मीटिंग के बाद सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय और पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने संकेत दिया कि नियामक आगे और कदम उठाने पर विचार कर रहा है।
सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से इंडिया डिजिटल सिग्नेचर को व्यापक रूप से अपनाने की अपील की है, क्योंकि यह कानूनी दस्तावेजों को अधिकृत करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
पांडेय ने कहा कि सेबी इंडिया डिजिटल सिग्नेचर को कॉमन एप्लीकेशन फॉर्म (CAF) के साथ इंटीग्रेट करेगा, जो FPI रजिस्ट्रेशन के लिए अनिवार्य है। उन्होंने बताया, “इससे कई दस्तावेजी आवश्यकताएं खत्म हो जाएंगी और अनुपालन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।”
इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ एक कॉमन KYC सिस्टम लाने पर भी चर्चा चल रही है। नारायण ने बताया, “हाल ही में चेयरमैन ने RBI गवर्नर से मुलाकात की, ताकि KYC प्रक्रिया को और आसान बनाया जा सके। लक्ष्य है कि बैंक और FPI दोनों के लिए एक कॉमन KYC नियम लागू हो। खासकर उन लो-रिस्क कैटेगरी के लिए जहां दोनों पक्षों को सुविधा हो।”
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SWAGAT-FI के तहत अब पात्र FPI रजिस्ट्रेशन का रिन्यूअल हर 3 साल की बजाय 10 साल में एक बार करना होगा। इन FPIs को 10 साल की अवधि के लिए एकमुश्त KYC फीस 2,500 डॉलर देनी होगी, जो पहले तीन साल के चक्र के अनुसार ली जाती थी। साथ ही, इन्हें गैर-निवासी भारतीयों (NRI) और भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (OCI) पर लागू 50 फीसदी कुल निवेश सीमा से भी छूट दी जाएगी।