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कच्चे तेल का आयात अमेरिका से बढ़ा, रूस से सप्लाई दमदार

अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात पिछले महीने के मुकाबले थोड़ा अधिक रहा। भारतीय रिफाइनरों ने सितंबर में 15.7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा था

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शुभांगी माथुर   
Last Updated- November 03, 2025 | 11:13 PM IST

अक्टूबर में अमेरिका से भारत का मासिक कच्चा तेल आयात मार्च 2021 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। मैरीटाइम इंटेलिजेंस फर्म केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, रूसी तेल का आयात भी 16.1 लाख बैरल प्रति दिन पर दमदार रहा, मगर यह एक साल पहले की समान अवधि के औसतन 17.3 लाख बैरल प्रति दिन से कम है।

भारतीय रिफाइनरों ने अक्टूबर में अमेरिका से 593 हजार बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा जो सितंबर में 207 हजार बैरल प्रति दिन और सालाना आधार पर औसत 305 हजार बैरल प्रति दिन से काफी अधिक है। भारत के क्रूड बास्केट में अमेरिका की बढ़ती हिस्सेदारी दोनों देशों के बीच गहरे होते ऊर्जा संबंधों को दर्शाती है।

साथ ही यह आपूर्ति सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति को संतुलित करने संबंधी भारत की रणनीति के अनुरूप है। केप्लर के प्रमुख अनुसंधान विश्लेषक (रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग) सुमित रितोलिया ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण यह वृद्धि हुई जिसे एक दमदार आर्बिट्राज विंडो, व्यापक ब्रेंट-डब्ल्यूटीआई स्प्रेड और चीन की कमजोर मांग का सहारा मिला। आगे की संभावनाएं सीमित दिख रही हैं क्योंकि वृद्धि ढांचागत नहीं बल्कि आर्बिट्राज आधारित है।’

अक्टूबर में रूस से कच्चे तेल का आयात पिछले महीने के मुकाबले थोड़ा अधिक रहा। भारतीय रिफाइनरों ने सितंबर में 15.7 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा था।

अक्टूबर में कच्चे तेल के आयात संबंधी आंकड़ों से रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत की तेल खरीद रणनीति की स्पष्ट झलक नहीं मिलती है। अक्टूबर में भारत आने वाले रूसी माल को अगस्त के मध्य से लेकर सितंबर में बुक किया गया होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच माल ढुलाई में लगने वाला समय 30 से 45 दिन है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया है जो 21 नवंबर से प्रभावी होगा। भारत के रूसी तेल खरीद में इन दो कंपनियों का योगदान 60 से 70 फीसदी है।

रितोलिया ने कहा, ‘प्रतिबंध के बाद समय-सीमा से पहले रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति में तेजी दर्ज की गई। नायरा को छोड़कर किसी भी रिफाइनर ने उसके बाद प्रतिबंधित आपूर्तिकर्ताओं से आयात करने की उम्मीद नहीं की थी। रूसी कच्चे तेल का प्रवाह 21 नवंबर तक 16 से 18 लाख बैरल प्रति दिन बने रहने की संभावना है।’

उन्होंने कहा कि दिसंबर से जनवरी के आयात में उल्लेखनीय गिरावट दिख सकती है क्योंकि रिफाइनर प्रतिबंधों के प्रभाव का आकलन करते हुए आपूर्ति श्रृंखला पर नए सिरे से गौर करेंगे।

भारत की सरकारी तेल विपणन कंपनियां बिचौलियों के जरिये हाजिर बाजार से रूसी कच्चा तेल खरीदती हैं ताकि कंपनियों को सीधे तौर पर पड़ने वाले किसी भी प्रभाव से बचाया जा सके।

First Published : November 3, 2025 | 10:41 PM IST