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Swiggy vs Zomato: डिस्काउंट की जंग फिर शुरू! इस बार कौन जीतेगा मुनाफे की लड़ाई?

भारत के फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स बाजार में फिर बढ़ी गर्मी। Swiggy और Eternal (Zomato) एक बार फिर आमने-सामने, लेकिन इस बार रणनीति पहले से ज्यादा समझदारी भरी।

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तन्मय तिवारी   
Last Updated- November 04, 2025 | 9:46 AM IST

भारत के तेजी से बढ़ते क्विक कॉमर्स (QC) और फूड डिलीवरी (FD) सेक्टर में एक बार फिर से मुकाबले की नई लहर उठ रही है। कुछ समय से बाजार में शांति और कंपनियों की प्रॉफिटिबिलिटी में सुधार देखा जा रहा था, लेकिन अब ऐसा लगता है कि Eternal (Zomato) और Swiggy फिर से आमने-सामने आने की तैयारी में हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) की 3 नवंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों कंपनियों की दूसरी तिमाही (Q2FY26) की कॉन्फ्रेंस कॉल से यह साफ संकेत मिला है कि जो प्रतिस्पर्धा कुछ महीनों से थमी हुई थी, वह अब दोबारा तेज हो सकती है।

क्या फिर शुरू हो गई है छूट और ऑफर की जंग?

रिपोर्ट के अनुसार, अब कंपनियां एक बार फिर से मार्केटिंग और ग्राहक को लुभाने के लिए खुलकर खर्च कर रही हैं। Swiggy ने देशभर में ‘Quick India’ नाम से नया कैंपेन शुरू किया है। Eternal यानी Zomato ने भी Zomato Gold को फिर से मुफ्त ऑफर के साथ शुरू किया है और खाने पर बड़े-बड़े डिस्काउंट दिए हैं। वहीं Zepto और Swiggy दोनों ने “No Fee” अभियान चलाया है, जिसमें डिलीवरी और हैंडलिंग चार्ज हटा दिए गए हैं। इससे अब बाजार में फिर वही छूट और ऑफर की जंग शुरू हो गई है, जैसी साल 2024 के आखिर में देखने को मिली थी।

पिछली बार क्या हुआ था, और कंपनियों ने क्या सीखा?

यह हालात बिल्कुल वैसे ही लग रहे हैं जैसे नवंबर 2024 में थे, जब दोनों कंपनियों ने मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए जमकर डार्क स्टोर खोले और विज्ञापनों पर भारी खर्च किया था। उस समय Eternal और Swiggy दोनों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। Eternal के शेयर 21 फीसदी और Swiggy के शेयर 27 फीसदी टूटे थे। हालांकि बाद में, वित्त वर्ष 2026 में, कंपनियों ने अपने खर्च पर नियंत्रण और बेहतर ऑपरेशनल एफिशिएंसी के दम पर मुनाफा बढ़ाया। लेकिन अब नई फंडिंग के साथ यह प्रतिस्पर्धा फिर से लौट सकती है। फर्क बस इतना है कि इस बार यह लड़ाई थोड़ी ज्यादा कंट्रोल्ड यानी समझदारी के साथ लड़ी जा रही है।

क्या इस बार मुकाबला पिछले दौर से अलग होगा?

MOFSL की रिपोर्ट का कहना है कि इस बार का दौर भले ही पिछली जंग जैसा दिख रहा हो, लेकिन उसका असर और तरीका अलग होगा। Swiggy ने नए डार्क स्टोर्स की संख्या में लगभग 90 फीसदी कमी करने का फैसला लिया है। पहले जब Swiggy ने बहुत सारे नए स्टोर खोले थे, तो हर स्टोर से मिलने वाले ऑर्डर घटकर 25% कम हो गए थे। अब कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले एक साल (चार तिमाही) में हर स्टोर से मिलने वाले ऑर्डर 30% बढ़ जाएंगे। Eternal (Zomato) की हालत भी अब बेहतर है। उसका क्विक कॉमर्स बिज़नेस लगभग बराबरी पर (न फायदा, न नुकसान) चल रहा है। अब जो थोड़ा नुकसान हो रहा है, वह सिर्फ विज्ञापन और प्रचार में ज्यादा खर्च करने की वजह से है।

निवेशकों के लिए क्या मायने हैं इस जंग के?

MOFSL का कहना है कि फूड डिलीवरी का बाजार अभी भी दो बड़े प्लेयर्स – Swiggy और Eternal (Zomato) के बीच बंटा हुआ है। मतलब, यही दोनों कंपनियां आगे भी इस बाजार पर अपना कब्जा बनाए रखेंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले दो साल (FY26-27) में दोनों कंपनियों के ऑर्डर की संख्या में 20 से 22 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। जहां तक क्विक कॉमर्स का सवाल है, वहां मुकाबला फिर से तेज होगा, लेकिन इस बार कंपनियों का नुकसान (कैश बर्न) पहले की तरह ज्यादा नहीं बढ़ेगा। इसके बजाय, मुनाफा कमाने की गति अब पहले से तेज हो सकती है।

किस कंपनी पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं विश्लेषक?

मोतीलाल ओसवाल ने दोनों कंपनियों पर ‘Buy’ रेटिंग बरकरार रखी है, लेकिन वैल्यूएशन के लिहाज से वह Swiggy को ज्यादा आकर्षक मानता है। रिपोर्ट के मुताबिक, Swiggy का EV/GMV मल्टिपल 0.5x FY27E है, जबकि Eternal का 1.2x है। इसलिए यह अंतर धीरे-धीरे घट सकता है। Swiggy के लिए ₹550 का टारगेट प्राइस रखा गया है, जो मौजूदा स्तर से 36 फीसदी ऊपर है, जबकि Eternal का टारगेट ₹410 है, यानी करीब 27 फीसदी बढ़त की संभावना।

क्या यह ‘डेजा वू’ आखिर अलग अंजाम लाएगा?

हालांकि बाजार की स्थिति देखने में पिछले साल जैसी ही लग रही है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बार कंपनियां ज्यादा समझदारी और योजना बनाकर काम करेंगी। अब वे पहले की तरह अंधाधुंध डार्क स्टोर नहीं खोलेंगी, बल्कि उनकी संख्या सीमित रखी जाएगी। साथ ही, खर्च पर सख्त नियंत्रण रखा जाएगा ताकि बेवजह का नुकसान न हो। कंपनियां अब टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिटिक्स की मदद से यह समझेंगी कि कहां से ज्यादा ऑर्डर आ रहे हैं और कहां कम, ताकि उसी हिसाब से मुनाफा बढ़ाया जा सके।

इसलिए कहा जा रहा है कि भले ही यह जंग पुरानी लगे, लेकिन इस बार इसका अंजाम ज्यादा स्थिर और टिकाऊ होगा। यानी कंपनियां लंबी दौड़ की सोच के साथ काम कर रही हैं, न कि सिर्फ जल्दीबाजी में बाजार जीतने के लिए।

First Published : November 4, 2025 | 9:40 AM IST