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वोडाफोन आइडिया को राहत! 2017 तक के एजीआर बकाये का होगा नए सिरे से आकलन

न्यायालय ने 27 अक्टूबर के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार कर्ज में डूबी कंपनी के कुल एजीआर बकाये पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- November 03, 2025 | 11:09 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने आज केंद्र सरकार को वोडाफोन आइडिया (वी) के वित्त वर्ष 2016-17 तक के कुल समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये का व्यापक पुनर्मूल्यांकन और समाधान करने की अनुमति दे दी। न्यायालय ने 27 अक्टूबर के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार कर्ज में डूबी कंपनी के कुल एजीआर बकाये पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, न कि केवल 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग पर जिसमें से 5,606 करोड़ रुपये 2016-17 से संबंधित हैं।

आदेश की एक विस्तृत प्रति मंगलवार तक अपलोड होने की उम्मीद है, जिससे स्पष्ट होगा कि क्या केंद्र को 2016-17 तक के एजीआर बकाये का नए सिरे से आकलन करने की अनुमति देने वाला आदेश अन्य दूरसंचार कंपनियों पर भी लागू होगा।

वोडाफोन आइडिया के वकील महेश अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि आदेश अपलोड होने के बाद कंपनी सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखेगी। उन्होंने कहा, ‘एजीआर बकाये के लिए इस्तेमाल किए गए कैलकुलेटर में त्रुटियां थीं। आंकड़ों का मिलान होने पर मूल रकम कम हो सकती है।’

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन एवं विपुल एम पंचोली के पीठ ने 27 अक्टूबर को कहा था कि केंद्र सरकार दूरसंचार विभाग की 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग को रद्द करने संबंधी वोडाफोन आइडिया की याचिका पर पुनर्विचार करने के लिए स्वतंत्र है।

यह स्पष्ट नहीं था कि अदालत की यह अनुमति केवल उठाए गए अतिरिक्त मांग पर लागू होगी या वोडाफोन आइडिया द्वारा देय संपूर्ण एजीआर बकाए पर।

वर्ष 2020 में, उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा वर्ष 2016-17 तक की दूरसंचार कंपनी के एजीआर बकाये की गणना को बरकरार रखा था और आगे कोई भी दोबारा गणना करने से मना कर दिया गया था। उस समय वोडाफोन आइडिया की देनदारियां 58,254 करोड़ रुपये तय की गई थीं जो आंकड़ा तब से बढ़कर 83,400 करोड़ रुपये हो गया है।

अपनी ताजा याचिका में, कंपनी ने कहा था कि डीओटी ने 9,450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग की थी, जिसमें से 5,606 करोड़ रुपये वर्ष 2016-17 से संबंधित थे। वोडाफोन आइडिया को वर्तमान में मार्च 2026 से 18,000 करोड़ रुपये का वार्षिक भुगतान करना है। पिछले बुधवार को अपने आदेश में, अदालत ने सरकार को वोडाफोन आइडिया के एजीआर बकाये का पुनर्मूल्यांकन केवल वित्तीय वर्ष 2016-17 तक उठाई गई अतिरिक्त मांगों की हद तक ही करने की अनुमति दी थी।

खंडपीठ ने तब टिप्पणी की थी कि ‘इस मामले के अनोखे तथ्यों में हम पाते हैं कि केंद्र सरकार के लिए इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और कानून के अनुसार उचित निर्णय लेने में कोई बाधा नहीं होगी और यह मामला केंद्र के नीतिगत दायरे में आता है।’ इसने यह भी कहा कि यदि सरकार, ‘व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए, इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहती है तो उसे ऐसा करने से रोकने या प्रतिबंधित करने का कोई कारण नहीं है।’

First Published : November 3, 2025 | 10:30 PM IST