अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग द्वारा देश के एक शीर्ष कारोबारी घराने पर लगाए गए आरोपों से केंद्र की बढ़ती चिंता के मद्देनजर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) अदाणी समूह के 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री में कुछ निवेशकों के अदाणी समूह के साथ कथित संबंधों की जांच कर रहा है। हालांकि समूह ने बाद में इस अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम को वापस ले लिया था।
मामले के जानकार दो सूत्रों ने कहा कि सेबी प्रतिभूति कानूनों के किसी भी संभावित उल्लंघन या शेयर बिक्री प्रक्रिया में हितों के टकराव की जांच कर रहा है। नियामक अदाणी और मॉरीशस की कम से कम दो फर्मों – ग्रेट इंटरनैशनल टस्कर फंड और आयुष्मत लि. के बीच संबंधों की पड़ताल कर रहा है, जिन्होंने एंकर निवेशक के रूप में भाग लिया था।
नियमों के तहत कंपनी के संस्थापक या संस्थापक समूह से संबंधित कोई भी इकाई एंकर निवेशक श्रेणी के तहत आवेदन नहीं कर सकती है। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी और अदाणी समूह से संपर्क किया गया लेकिन उनका जवाब नहीं आया।
ग्रेट इंटरनैशनल टस्कर फंड तथा आयुष्मत लि. ने भी कोई टिप्पणी नहीं की।
सूत्रों ने कहा कि सेबी ने जांच के सिलसिले में एफपीओ का प्रबंधन करने वाले दो निवेश बैंकरों इलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल से भी पूछताछ की थी। हिंडनबर्ग का आरोप है कि अदाणी की एक निजी इकाई की मोनार्क में छोटी हिस्सेदारी थी जो पहले समूह के लिए बुकरनर का काम कर चुकी है। ऐसे में यह हितों के टकराव का मामना बनता है।
इस बीच कंपनी मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों को मामले की जानकारी दी है और वह सेबी के संपर्क में भी है। सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय ने 2 फरवरी को अदाणी के वित्तीय विवरणों की समीक्षा शुरू की थी। हालांकि नियामकीय जांच के बारे में मंत्रालय ने कोई टिप्पणी नहीं की।