भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने कहा है कि धोखाधड़ी को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता लेकिन ऐसा तरीका विकसित करना मुमकिन है जिससे इसका जल्द पता लगाया जा सके। शुक्रवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने जोर देते हुए कहा कि नियामक ऐसे मामलों से निपटने के पुख्ता प्रयास कर रहा है।
फ्यूचर प्रूफ फॉरेंसिक 2025 के एक सत्र को संबोधित करते हुए सेबी प्रमुख ने धोखाधड़ी के उन उदाहरणों के बारे में बताया जिनका खुलासा नियामक ने किया है। उदाहरण के लिए एक सूचीबद्ध इकाई ने अपनी सहायक कंपनी को संपत्तियां हस्तांतरित कर दीं, जिसने फिर इन परिसंपत्तियों के बदले मिले सुरक्षित ऋण का उपयोग प्रवर्तक से जुड़ी इकाई का बकाया चुकाने के लिए किया।
उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे कुछ कंपनियों ने नामी-गिरामी इकाइयों के साथ सर्कुलर लेन-देन करके अपने वित्तीय विवरणों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया जिससे अंततः प्रवर्तकों को शेयरधारकों के धन की हेराफेरी करने या तरजीही आवंटन से प्राप्त राशि का दुरुपयोग करने का मौका मिल जाता है। कुछ मामलों में सांविधिक लेखा परीक्षक भी धन के ऐसे तरीके का पता लगाने या उसकी रिपोर्ट करने में विफल रहे।
पांडेय ने टिप्पणी की कि इन मामलों से संकेत मिलता है कि प्रबंधन के कुछ प्रमुख लोग, सांविधिक लेखा परीक्षक, ऑडिट समिति के सदस्य और बोर्ड निदेशक अनुपालन के लिए केवल ऊपरी जांच का दृष्टिकोण अपना रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी घटनाएं निवेशकों के विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर करती हैं और शेयरधारकों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सेबी ने विभिन्न उपाय शुरू किए हैं। इनमें कठोर प्रवर्तन कार्रवाई और संबंधित पक्षकार के बड़े लेनदेन पर अनिवार्य रूप से शेयरधारकों की मंजूरी से लेकर संदिग्ध गतिविधियों की पहचान के लिए उन्नत प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल शामिल है।
पांडेय ने यह भी कहा कि भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) प्रतिभूति बाजारों में वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए एक मजबूत ढांचा विकसित कर रहा है और फॉरेंसिक जांच और धोखाधड़ी के जोखिम कम करने की तकनीकों के बारे में सेबी अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रशिक्षण दे रहा है।
इसके अलावा सेबी ने बाजार धोखाधड़ी और डिजिटल घोटालों के खिलाफ कोशिशों को मजबूत करने के लिए सीबीआई, एफआईयू, एसएफआईओ और एनसीआरबी के अधिकारियों के साथ संवाद सत्र आयोजित किए हैं। नियामक ने जांच और प्रवर्तन कार्रवाइयों के लिए डेटा का आदान-प्रदान को सुगम बनाने की पहल करते हुए कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के साथ सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने इस बात की पुष्टि की है कि इंडसइंड बैंक की जांच जारी है। वेदांत पर वायसराय रिसर्च की रिपोर्टों के बारे में उन्होंने कहा कि सेबी विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सभी सूचनाओं का संज्ञान लेता है।