नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) बिजली वायदा के लिए मासिक अनुबंध शुरू करने के लिए तैयार है और उसने बाजार प्रतिभागियों का पंजीकरण शुरू कर दिया है। एक्सचेंज अक्षय ऊर्जा कंपनियों के लिए ‘कॉन्ट्रैक्ट फॉर डिफरेंस’ (सीएफडी) के बाद की पेशकश पर भी विचार कर रहा है।
पेशकश की घोषणा जुलाई के मध्य तक होने की उम्मीद है, क्योंकि बाजार प्रतिभागियों के साथ चर्चा जारी है। एनएसई को 11 जून को इसकी पेशकश के लिए बाजार नियामक से मंजूरी मिल गई। इसी तरह, मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) को भी बिजली डेरिवेटिव की पेशकश के लिए सेबी से मंजूरी मिल गई है।
बिजली वायदा वित्तीय अनुबंध हैं, जो प्रतिभागियों को किसी भी भौतिक बिजली वितरण को शामिल किए बिना एक निर्दिष्ट भविष्य के महीने के लिए बिजली की कीमत को लॉक करने की अनुमति देते हैं। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ये अनुबंध ट्रेडरों को भविष्य की कीमतों को लॉक करने, बजट की योजना बनाने और बाजार की अस्थिरता के जोखिम को कम करने में सक्षम बनाएंगे। उदाहरण के लिए, ये अनुबंध वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को पीक सीजन की दरों को लॉक करने, उद्योगों को इनपुट बिजली की लागत तय करने और ट्रेडरों को हेज पोजीशन लेने में सक्षम बनाने में मदद कर सकते हैं।
बिजली क्षेत्र के तीन शीर्ष ट्रेडर (जिनकी बाजार हिस्सेदारी 55 फीसदी है) बिजली वायदा कारोबार के लिए एनएसई में पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं। एनएसई में सस्टेनेबिलिटी, पावर/कार्बन मार्केट्स और लिस्टिंग के प्रमुख हरीश आहूजा के अनुसार, बिजली उत्पादक, वितरण कंपनियां, वित्तीय संस्थान, कॉरपोरेट, एचएनआई और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक सभी इस सेगमेंट में भाग ले सकेंगे।