HDFC Bank और HDFC के बीच होने वाले प्रस्तावित विलय की वजह से करीब 60 सक्रिय तौर पर प्रबंधित इक्विटी म्युचुअल फंड (MF) योजनाओं द्वारा किसी एक शेयर में 10 प्रतिशत की अधिकतम निवेश सीमा पार किए जाने का अनुमान है।
फंड मैनेजरों को विलय के बाद गठित इकाई में 5,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर घटाने की जरूरत होगी, क्योंकि सक्रिय तौर पर प्रबंधित योजनाएं अपनी कुल राशि का अधिकतम 10 प्रतिशत हिस्सा एक शेयर में रख सकती हैं। HDFC और HDFC Bank के संदर्भ में बात की जाए तो पता चलता है कि कई फंड हाउसों का इन शेयरों में बड़ा निवेश है।
खबरों के अनुसार, बाजार नियामक सेबी फंड हाउसों को 10 प्रतिशत सीमा बढ़ाए जाने को लेकर विशेष रियायत देने के पक्ष में नहीं है।
नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च द्वारा कराए गए विश्लेषण से पता चलता है कि लार्ज-कैप श्रेणी की योजनाओं के संदर्भ में अधिकतम निवेश 18 प्रतिशत पर देखा जा सकेगा।
हालांकि विश्लेषकों को शेयर कीमतों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने का अनुमान नहीं है, क्योंकि HDFC-HDFC Bank बेहद तरलता (highly liquid ) आधारित नाम हैं और उन्हें बिकवाली दबाव का सामना करने में सफलता मिलेगी। इसके विपरीत, इस विलय से 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का पूंजी प्रवाह हासिल होने का अनुमान है, क्योंकि संयुक्त इकाई को MSCI India index में शामिल किया जाएगा। मौजूदा समय में, HDFC Bank किसी एमएससीआई सूचकांक (MSCI indices) का हिस्सा नहीं है।
फंड मैनेजरों को भी अत्यधिक शेयर बिकवाली की वजह से अपनी योजनाओं के प्रदर्शन पर विपरीत प्रभाव पड़ने का अनुमान नहीं है, क्योंकि उनके पास व्यवस्थित तरीके से बिकवाली करने का विकल्प होगा।