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हार्ड अंडरराइटिंग से आईपीओ बाजार को मिलेगी मदद, आएगा बदलाव

विश्लेषकों का मानना है कि हार्ड अंडरराइटिंग से निर्गमकर्ताओं को मदद मिलेगी, क्योंकि इससे निर्गम सफल बनाने में मदद मिलेगी

Last Updated- February 23, 2023 | 10:20 PM IST
SEBI

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा ‘हार्ड अंडरराइटिंग’ की पुन: पेशकश के प्रस्ताव को भारत के सुस्त पड़े आईपीओ बाजार को मजबूत बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। नियामक ने प्रस्ताव रखा है कि यदि किसी आईपीओ को पूरा सब्सक्रिप्शन नहीं मिल पाता है तो निवेश बैंकर या थर्ड पार्टी उस गैर-अभिदान वाले हिस्से यानी गैर बिके शेयरों को खरीद सकते हैं।

यह प्रणाली वर्ष 1999 से पहले निर्धारित कीमत वाले निर्गमों के दौरान सामान्य थी। हालांकि नई बुक बि​ल्डिंग व्यवस्था के तहत, अंडरराइटिंग की अनुमति बोलियां तकनीकी तौर पर रद्द होने की ​स्थिति में ही दी गई है।

बाजार सुझावों के आधार पर सेबी ने कोष उगाही से संबं​धित इश्यू ऑफ कैपिटल ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (आईसीडीआर) रेग्युलेशंस में संशोधन की योजना बनाई है, जिसका मकसद सॉफ्ट और हार्ड-राइटिंग के बीच स्पष्टता लाना है।

उद्योग के कारोबारियों का मानना है कि प्राथमिक शेयर बिक्री से संबं​धित धारणा प्रभावित होने के संदर्भ में इस बात की गारंटी से निवेशकों में भरोसा बढ़ेगा कि आईपीओ को अंडरराइट किया जा रहा है। 2022 में इ​क्विटी कोष उगाही के लिए शीर्ष पांच बाजारों में शामिल होने के बाद भारतीय बाजारों में इस साल अब तक एक भी बड़ा आईपीओ नहीं आया है।

सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग के प्रबंध निदेशक राजेंद्र नाइक ने कहा, ‘हार्ड अंडरराइटिंग से निर्गमकर्ताओं को मदद मिलेगी, क्योंकि इससे साथ ही निर्गम के सब्सक्रिप्शन का भरोसा ​बढ़ेगा। अब तक बुक बि​ल्डिंग निर्गम सॉफ्ट अंडररा​इटिंग था, लेकिन अब हार्ड अंडरराइटिंग (यदि अपनाया गया) से यह सुनि​श्चित होगा कि मर्चेंट बैंक अपना पैसा अपने हिसाब से लगाएंगे। इसका मतलब है कि आईपीओ का मूल्य ज्यादा उचित हो सकेगा, क्योंकि बैंकों को इसमें ज्यादा स्वतंत्रता होगी और इससे निवेशकों को फायदा होगा।’

मौजूदा समय में, आईपीओ को सफल बनाने के लिए न्यूनतम 90 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन हासिल करने की जरूरत होती है। यदि ​आईपीओ इसमें विफल रहता है तो निर्गमकर्ता कंपनी के पास ऑफर कीमत घटाने और निर्गम को तीन दिन तक आगे बढ़ाने का विकल्प उपलब्ध है। उसके बाद भी, यदि आईपीओ पर्याप्त सब्सक्रिप्शन में कामयाब नहीं रहता है तो उसे विफल समझा जाता है और निर्गमकर्ता को आवेदन रा​शि लौटा वापस करनी होती है।

प्राइम डेटाबेस के अनुसार वर्ष 2003 से 11,000 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य से जुड़ीं करीब 29 कंपनियों ने पर्याप्त सब्सक्रिप्शन नहीं मिलने के बाद निवेशकों का पैसा लौटा दिया था।

लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेज इंडिया की पार्टनर गीता धानिया ने कहा, ‘ज्यादातर विकसित देशों में हार्ड अंडरराइटिंग पर अमल होता है और इससे कंपनी और आईपीओ कीमत में मर्चेंट बैंकर के भरोसा का पता चलता है। यह उन्हें ज्यादा जवाबदेह भी बनाती है, जिससे निवेशकों में भरोसा बढ़ता है। यह निवेशक के नजरिये से नि​श्चित तौर पर अच्छा है, लेकिन इससे उस हालत में आईपीओ प्रक्रिया निर्गमकर्ता कंपनी के लिए कठिन हो सकती है, जब कुछ ही इकाइयां अंडरराइट को इच्छुक हों।’

First Published - February 23, 2023 | 10:20 PM IST

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