बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बिना गिरवी दिए गए ऋण के लिए ज्यादा पूंजी अलग रखने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देश के एक दिन बाद आज वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में खासी गिरावट देखी गई। इससे बेंचमार्क सूचकांक भी गिरावट पर बंद हुए।
सेंसेक्स 188 अंक गिरकर 65,795 पर बंद हुआ। निफ्टी 33 अंक के नुकसान के साथ 19,732 पर बंद हुआ। मगर इस गिरावट के बावजूद इस हफ्ते सेंसेक्स 1.4 फीसदी और निफ्टी 1.6 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। यह लगातार तीसरा हफ्ता है जब बेंचमार्क सूचकांक लाभ में रहे हैं।
सेंसेक्स की गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ बैंकिंग शेयरों का रहा। आईसीआईसीआई बैंक में 1.5 फीसदी और ऐक्सिस बैंक में 3.03 फीसदी गिरावट आई। बैंक निफ्टी 1.3 फीसदी नीचे बंद हुआ। भारतीय स्टेट बैंक का शेयर 3.7 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। निफ्टी वित्तीय सेवा सूचकांक भी करीब 1 फीसदी नुकसान में बंद हुआ। बेंचमार्क सूचकांकों में वित्तीय शेयरों का भारांश करीब 40 फीसदी है।
आरबीआई ने कल एक परिपत्र जारी कर उपभोक्ता ऋण के लिए जोखिम भार बढ़ा दिया था। इससे पहले अक्टूबर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोई भी संपत्ति गिरवी रखे बगैर लिए जा रहे ऋणों में तेज वृद्धि पर बैंकों को आगाह किया था और जोखिम रणनीति पर सर्तकता बरतने का निर्देश दिया था। इसी के मद्देनजर आरबीआई ने यह कदम उठाया है। विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई के इस कदम से ऋण में इजाफे की रफ्तार धीमी होगी और ऋण की लागत तथा पूंजी पर्याप्तता की जरूरतें बढ़ जाएंगी।
नोमुरा ने अपने नोट में कहा है कि आरबीआई के निर्णय से वित्त वर्ष 2025 में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ऋण वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही तक असुरक्षित यानी बिना गिरवी के ऋण में 25 से 30 फीसदी के बीच इजाफा हुआ है। किंतु कुछ बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई के निर्णय से बैंकों पर मामूली असर पड़ेगा।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘असुरक्षित ऋण की कुछ श्रेणियों, एनबीएफसी को ऋण तथा क्रेडिट कार्ड ऋण के लिए जोखिम भार बढ़ाने के फैसले से बैंकों की पूंजी की जरूरत तत्काल बढ़ जाएगी, जिससे पूंजी महंगी भी हो जाएगी। मगर बैंकों के मुनाफे पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’
दो दिन तक शुद्ध लिवाली करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने आज 500 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले। देसी संस्थागत निवेशकों ने भी 565 करोड़ रुपये निकाले हैं।