भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार अनिश्चितता के बीच बाजार में उथल-पुथल के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारतीय शेयर बाजारों में 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।
जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के निवेश में अस्थिरता रही, वहीं घरेलू निवेशकों से बाजारों को मदद मिली। आंकड़ों से पता चलता है कि एफआईआई ने पहले छह महीनों में कुल 1.3 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे जो वर्ष 2022 के बाद से उनकी सबसे बड़ी बिकवाली है।
आईएनवीऐसेट पीएमएस में पार्टनर और फंड मैनेजर अनिरुद्ध गर्ग के अनुसार घरेलू संस्थानों के इक्विटी आवंटन में स्थिरता रही। इसकी मुख्य वजह सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से खुदरा भागीदारी बढ़ना है। उन्होंने कहा, ‘साथ ही, मिड और स्मॉलकैप स्पेस के शएयर भावों कमी ने कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही में खरीदारी को बढ़ावा दिया है।’
मई में मासिक एसआईपी निवेश बढ़कर 26,688 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो एक साल पहले की तुलना में 28 फीसदी की वृद्धि है। आंकड़ों के अनुसार शेयर बाजार में प्रत्यक्ष रूप से निवेश करने वाले छोटे निवेशकों ने 6 महीने में 12,754 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
दलाल पथ पर निफ्टी-50 सूचकांक 6.6 फीसदी चढ़कर 25,200 के स्तर पर पहुंचा जबकि 30 शेयर वाला सेंसेक्स पहली छमाही में 5.7 फीसदी की बढ़त के साथ 82,600 पर पहुंचने में कामयाब रहा। घरेलू फंडों के निवेश में मजबूती इस साल तब शुरू हुई जब चीन के बढ़ते आकर्षण और स्थानीय शेयरों में ऊंचे भावों के बीच इक्विटी बाजार में एफआईआई की रिकॉर्ड निकासी देखी गई। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को खतरा होने के कारण शेयर बाजार में बड़ी अस्थिरता देखी गई।
भारत और पाकिस्तान युद्ध के लगभग कगार पर थे। बाद में ईरान और इजरायल के हमलों के कारण पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव से बाजार हिल गए और अमेरिका भी इसमें कूद गया। गर्ग का कहना है कि इस सब के बीच वैश्विक निवेशक दूरी बनाए हुए थे, जबकि घरेलू निवेशकों ने भरोसा बरकरार रखा।
कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी रिसर्च के प्रमुख श्रीकांत चौहान का कहना है कि मजबूत वृहद आर्थिक परिवेश से घरेलू संस्थागत निवेशकों की धारणा मजबूत बनाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि एसआईपी के जरिये म्युचुअल फंड निवेश को लेकर निवेशकों की जागरूकता बढ़ी है।
वैश्विक फंड उभरते बाजारों में तभी पैसा लगाते हैं जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति सही हो। चौहान ने कहा, ‘ऐसा नहीं होने पर वे सुरक्षित ठिकानों या विकसित बाजारों में निवेश रखने की कोशिश करते हैं।’
विश्लेषकों का सुझाव है कि बाजारों के लिए आगामी कारक टैरिफ और भू-राजनीति से संबंधित घटनाक्रम होंगे। रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत और अमेरिका 9 जुलाई की समय सीमा से पहले एक प्रारंभिक व्यापार सौदा करने की कोशिश कर रहे हैं।