एनएसई और बीएसई में डेरिवेटिव अनुबंधों की निपटान तारीखें बदलने जा रही हैं। लिहाजा शेयर बाजार के कारोबारियों को ट्रेडिंग पैटर्न में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। यह वायदा और विकल्प (एफऐंडओ) ट्रेडिंग के लिए संभावित बदलाव का संकेत है। इस सप्ताह से एनएसई के साप्ताहिक निफ्टी अनुबंध गुरुवार के बजाय मंगलवार को समाप्त होंगे। बीएसई के सेंसेक्स अनुबंध मंगलवार के बजाय गुरुवार को समाप्त होंगे। पिछले सप्ताह गुरुवार को निफ्टी अनुबंधों की आखिरी समाप्ति थी। मासिक, त्रैमासिक और छमाही अनुबंध भी मंगलवार (एनएसई) और गुरुवार (बीएसई) के नए कार्यक्रम से चलेंगे।
यह कदम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के उन नए निर्देशों के बाद उठाया गया है जिनमें साप्ताहिक डेरिवेटिव एक्सपायरी को सप्ताह में दो दिन तक सीमित किया गया है। इस कदम का उद्देश्य डेरिवेटिव ट्रेडिंग में ‘गुणवत्ता और संतुलन’ बढ़ाना और अत्यधिक खुदरा भागीदारी को कम करना है।
खुदरा व्यापार के जोखिमों को कम करने के लिए सेबी ने साप्ताहिक एफऐंडओ एक्सपायरी को हर एक्सचेंज के लिए एक ही बेंचमार्क इंडेक्स तक सीमित कर दिया है। इस कारण एनएसई ने निफ्टी बैंक, निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज और निफ्टी मिडकैप सलेक्ट के लिए साप्ताहिक डेरिवेटिव बंद कर दिए और निफ्टी 50 को अपना एकमात्र बेंचमार्क बना लिया। इसी तरह, बीएसई ने बैंकेक्स और सेंसेक्स 50 के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी को समाप्त कर दिया और सेंसेक्स को अपना बेंचमार्क बना लिया।
एक्सपायरी किसी एफऐंडओ अनुबंध की अंतिम वैध तारीख को बताती है। दोनों एक्सचेंज साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक और छमाही अनुबंध प्रदान करते हैं जिनमें पोजीशन का निपटान एक्सपायरी की तारीख तक करना आवश्यक होता है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस अदला-बदली से इंडेक्स ऑप्शंस ट्रेडिंग में बाजार हिस्सेदारी में बदलाव आ सकता है और एनएसई को बीएसई से खोई हुई कुछ हिस्सेदारी वापस मिल सकती है। गोल्डमैन सैक्स के एक हालिया नोट में चेतावनी दी गई थी कि बीएसई की बाजार हिस्सेदारी लगभग 3 प्रतिशत अंक कम हो सकती है और 2025-26 की प्रति शेयर आय में 2 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
एक्सपायरी में बदलाव जनवरी 2025 में बीएसई द्वारा मंगलवार को एक्सपायरी करने के निर्णय के बाद आया है, जिससे उसके कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। एनएसई ने सोमवार को एक्सपायरी करने पर विचार किया था। लेकिन सेबी ने इंडेक्स ऑप्शंस के लिए एक्सचेंजों को मंगलवार या गुरुवार तक सीमित कर दिया। इससे पहले, बीएसई को साप्ताहिक एक्सपायरी के लिए तीन कार्य दिवसों का लाभ मिलता था जबकि एनएसई को दो कार्य दिवसों का लाभ मिलता था।