भारत के सीमेंट उद्योग को निर्माण क्षेत्र में शानदार विस्तार के बावजूद अपनी बिक्री और राजस्व बढ़ाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध सीमेंट निर्माताओं, जिनके वित्त वर्ष 2025 के आंकड़े उपलब्ध हैं, का संयुक्त राजस्व सालाना आधार पर 6.9 फीसदी घटा है। यह पिछले साल की 8.7 फीसदी वृद्धि के एकदम उलट है। इस उद्योग के सालाना राजस्व में दो दशक में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है।
इसके विपरीत, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमानों के आधार पर निर्माण क्षेत्र का वित्त वर्ष 2025 में मौजूदा कीमतों पर 9.4 प्रतिशत विस्तार हुआ। यह एक साल पहले की 10.6 प्रतिशत की वृद्धि से थोड़ा कम है। सीमेंट उद्योग की कुल शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2025 में घटकर 2.1 लाख करोड़ रुपये रह गई जो पिछले वर्ष 2.22 लाख करोड़ रुपये थी। इस बीच, निर्माण क्षेत्र का उत्पादन 14.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 15.72 लाख करोड़ रुपये हो गया।
सूचीबद्ध सीमेंट कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा। हालांकि उनकी शुद्ध बिक्री में भी 4.3 प्रतिशत की गिरावट आई जो 1.93 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.85 लाख करोड़ रुपये रह गई। यह वित्त वर्ष 2004 के बाद से उद्योग के राजस्व में पहली गिरावट है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल 18 सूचीबद्ध कंपनियों में से 13 ने वित्त वर्ष 2025 में सालाना आधार पर शुद्ध बिक्री में गिरावट दर्ज की। कई छोटी कंपनियों में दो अंक में गिरावट आई जिससे मंदी के संकेतों का पता चलता है। दो सबसे बड़े उत्पादकों- अल्ट्राटेक सीमेंट और अंबुजा सीमेंट्स की स्थिति अलग रही और इन कंपनियों ने विलय और अधिग्रहण की मदद से राजस्व लाभ दर्ज किया। अल्ट्राटेक ने इंडिया सीमेंट्स और केसोराम इंडस्ट्रीज के सीमेंट डिवीजन का अधिग्रहण पूरा किया। अंबुजा ने पेन्ना सीमेंट और सांघी इंडस्ट्रीज का सौदा पूरा किया।
ऐतिहासिक रूप से, सीमेंट क्षेत्र में राजस्व वृद्धि ने मौजूदा कीमतों पर निर्माण वृद्धि को बारीकी से ट्रैक किया है। पिछले 20 वर्षों में जीडीपी में निर्माण क्षेत्र का विस्तार 12.4 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से हुआ, जबकि सीमेंट राजस्व में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वह सह-संबंध अब कमजोर होता दिख रहा है। वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2025 तक निर्माण 13.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा, लेकिन सीमेंट कंपनियों की शुद्ध बिक्री में केवल 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
यह विश्लेषण 35 सीमेंट फर्मों के डेटा पर आधारित है, जिसमें मौजूदा समय में सूचीबद्ध 18 कंपनियां शामिल हैं। शेष गैर-सूचीबद्ध हैं, उनका विलय हो गया है, या उन्होंने परिचालन बंद कर दिया है। विश्लेषकों ने पिछले वित्त वर्ष में राजस्व गिरावट का कारण आपूर्ति में उछाल के बीच कीमतों में कमी को बताया है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में कॉरपोरेट रेटिंग्स की निदेशक खुशबू लखोटिया ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 में सीमेंट की कीमतें सालाना आधार पर 5-6 प्रतिशत गिर गईं, जो 20 वर्षों में सबसे तेज गिरावट है।’