कैलेंडर वर्ष 2022 में स्मॉलकैप शेयरों पर दबाव बना रहा और निफ्टी स्मॉलकैप 250 इंडेक्स साल के दौरान 4.4 फीसदी फिसला। दूसरी ओर एसऐंडपी बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स का प्रदर्शन भी कमजोर रहा और साल के दौरान उसमें 2.5 फीसदी की गिरावट आई।
यह ऐसे समय में हुआ जब मुख्य सूचकांकों एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 ने वैश्विक समकक्षों के मुकाबले साल के दौरान करीब 5 फीसदी की बढ़त दर्ज की और दिसंबर में सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। साल साल 2022 लगातार सातवां कैलेंडर वर्ष है जब सेंसेक्स व निफ्टी का रिटर्न सकारात्मक रहा है।
विश्लेषकों के मुताबिक, स्मॉलकैप के कमजोर प्रदर्शन की वजह कच्चे माल की कीमतों में इजाफा और केंद्रीय बैंकों की तरफ से हुई ब्याज बढ़ोतरी रही, जिससे उनके वित्तीय प्रदर्शन पर असर पड़ा।
आईडीबीआई कैपिटल के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, मिड व स्मॉलकैप में गिरावट की वजह ब्याज दरों में बढ़ोतरी रही, जिससे उन पर लार्जकैप के मुकाबले ज्यादा असर पड़ा। अपेक्षाकृत छोटी कंपनी बढ़ी लागत का भार उपभोक्ताओं पर आसानी से नहीं डाल सकती और यह उनके लिए मुश्किल समय होता है। मिडकैप व स्मॉलकैप क्षेत्र की कई कंपनियों का मूल्यांकन आकर्षक बन गया है। ये दोनों क्षेत्र साल 2023 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन करना शुरू करेंगे।
इस बीच, बीएसई 500 के शेयरों में करीब 51 फीसदी यानी 257 शेयरों ने कैलेंडर वर्ष 2022 में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया है। नई पीढ़ी की कंपनियों मसलन वन97 कम्युनिकेशन (पेटीएम की मूल कंपनी), जोमैटो, एफएसएन ई-कॉमर्स वेंचर्स (नायिका की मूल कंपनी) और पीबी फिनटेक के शेयर की कीमतें कैलेंडर वर्ष 22 में घटकर आधी रह गई।
विशिष्ट शेयरों व क्षेत्रों में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) कंपनियों ने बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया और एसऐंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स कैलेंडर वर्ष 22 में 22 फीसदी चढ़ा। इंडेक्स साल 2021 में 41 फीसदी चढ़ा था।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, बाजारों के लिए यह साल निराशाजनक रहा और 2020 व 2021 के ज्यादातर बेहतर शेयरों ने कमजोर प्रदर्शन किया। खास तौर से रक्षा व बीएफएसआई वाले पीएसयू शेयरों ने बेहतर किया। रूस-यूक्रेन युद्ध, केंद्रीय बैंकों की तरफ से लगातार ब्याज बढ़ोतरी से अवधारणा प्रभावित हुई और कंपनियों की आय को भी झटका लगा। कोविड को लेकर दोबारा पैदा हुआ डर भी सेंटिमेंट पर चोट पहुंचा रहा है।
पीएसयू बास्केट के अलावा ऑटोमोबाइल, निजी बैंक, पूंजीगत सामान, बिजली, तेल व गैस, एफएमसीजी और धातु क्षेत्रों ने बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कियाि और कैलेंडर वर्ष 22 में 8 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दर्ज किया। सूचना प्रौद्योगिकी, दवा, टिकाऊ उपभोक्ता व रियल्टी क्षघेत्र ने 10 से 24 फीसदी के दायरे में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया।
सेंसेक्स के शेयरों में आईटीसी (54 फीसदी चढ़ा), एमऐंडएम (51 फीसदी), इंडसइंड बैंक (39 फीसदी), ऐक्सिस बैंक (38 फीसदी), एनटीपीसी और एसबीआई (33-33 फीसदी) में कैलेंडर वर्ष 22 के दौरान 30 फीसदी से ज्यादा की उछाल आई।
देसी संस्थागत निवेशकों ने तेजी को सहारा दिया और कैलेंडर वर्ष 22 में 2.72 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इनमें देसी म्युचुअल फंडों का योगदान 1.81 लाख करोड़ रुपये का रहा। एफआईआई ने 1.22 लाख करोड़ रुपये के देसी शेयर बेचे क्योंकि मजबूत डॉलर का उभरते बाजारों के सेंटिमेंट पर असर पड़ा।
ज्यादातर विश्लेषक साल 2023 को लेकर तेजी का नजरिया बनाए हुए हैं और जुलियस बेयर को उम्मीद है कि साल के दौरान सेंसेक्स 70,000 का स्तर छू लेगा।