भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भ्रामक सूचनाओं के प्रसार और जोड़-तोड़ के तरीकों पर रोक लगाने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुझाव देने वाले प्रभावशाली शख्सियतों के बारे में दिशानिर्देश तैयार करने के लिए तैयार है।
ऐसे लोग बाजार नियामक के साथ पंजीकृत नहीं हैं, ऐसे में उनके खिलाफ की गई सीधी कार्रवाई नियामक के दायरे से बाहर हो सकती है।
हालांकि, सेबी ने म्युचुअल फंड, स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर जैसे बाजार मध्यस्थों को निर्देश जारी करने की योजना बनाई है ताकि वे बाजार नियमों का उल्लंघन करने वाले या शेयरों से जुड़े टिप्स देने काम में जुटे ऐसे प्रभावशाली लोगों के साथ गलत तरीके से न जुड़ें।
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने 28 जून को निदेशक मंडल की बैठक के बाद कहा था कि नियामक, विनियमित इकाइयों और रेफरल या प्रचार के लिए गैर-पंजीकृत इकाइयों के साथ ऐसे लोगों के जुड़ने को लेकर नियमन तैयार कर रहा है।
बुच ने कहा, ‘पिछली कुछ बैठकों में वित्तीय क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों (फिनफ्लूएंसर) के कामकाज पर चर्चा हुई है। इस पर हमारी सोच अब काफी स्पष्ट हो रही है। हम कुछ महीनों में एक परामर्श पत्र लाएंगे। उसमें अहम भागीदारों जैसे कि एक्सचेंज, ब्रोकर, म्युचुअल फंड आदि जैसी विनियमित संस्थाओं को विज्ञापन, इक्विटी, लाभ-साझेदारी या रेफरल शुल्क जैसे माध्यमों से अपंजीकृत संस्थाओं के साथ गठजोड़ करने पर प्रतिबंध लगाने की बात शामिल होगी।’
फिनफ्लूएंसर्स किसी भी तरह के करार के लिए अलग-अलग शुल्क तय करते हैं जो कंटेंट या प्रचार के लिए एकमुश्त भुगतान के रूप में हो सकती हैं या ग्राहकों या उनसे मिलने वाले कारोबार के आधार पर विज्ञापनदाता से मिली रेफरल शुल्क भी हो सकती हैं। ऐसे कई प्रभावशाली लोग विशेष रूप से वायदा और विकल्प कारोबार में हैं और वे निवेशकों और कारोबारियों के लिए विशेष तरह के सुझाव वाले पाठ्यक्रम देते हैं।
सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों की तादाद कम नहीं है जहां कुछ खिलाड़ियों ने दूसरों को लुभाने और अप्रत्याशित लाभ के लिए फर्जी या भ्रामक स्क्रीनशॉट साझा करते हुए देखा गया। हालांकि परामर्श पत्र अभी तैयार नहीं हुआ है और अभी इसे तैयार करने पर काम जारी है लेकिन सेबी अध्यक्ष ने विचार-प्रक्रिया और उन प्रमुख तरीकों पर जोर दिया जिस पर नियामक विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि नियामक, निवेशकों की जागरुकता और उनकी जानकारी में वित्तीय क्षेत्र में सुझाव देने वाले प्रभावशाली लोगों की भूमिका से अवगत है और उसी तर्ज पर इन इन्फ्लूएंसर्स द्वारा पेश किए जाने वाले कोर्स के बारे में दिशानिर्देश दे सकता है।
सेबी की चेयरपर्सन ने कहा, ‘हमें इस बात को लेकर कोई दिक्कत नहीं है कि कोई किसी को शिक्षित कर रहा है। वास्तव में, यह अच्छा है क्योंकि हमारा उद्देश्य निवेशकों की जागरूकता बढ़ाना है। लेकिन इसमें प्रलोभन जैसी चीजें शामिल नहीं होनी चाहिए जैसे कि कोई यह दावा करे कि इस तरह की ट्रेडिंग से लाखों-करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं।
बाजार में इस तरह की गारंटी कोई नहीं दे सकता है और इसमें नुकसान होता है। यदि आप एक विशेषज्ञ हैं और उन लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं कि यह पैसा बनाने का एक गारंटी वाला तरीका है तब इसे हमारे तंत्र में प्रलोभन ही माना जाएगा और इसे धोखाधड़ी, भ्रामक या गलत बयानी की श्रेणी में रखा जाएगा।
इन दिशानिर्देशों की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि शुरुआती चर्चा के मुताबिक विनियमित इकाइयों और प्रभावशाली लोगों के जुड़ने की प्रक्रिया कुछ मानदंडों पर आधारित हो सकती है जैसे कि सेबी के साथ उनका पंजीकरण होना, प्रभावशाली लोगों की योग्यता या प्रमाणन क्या है, हैसियत, संभावित आय की सीमा या एक निश्चित समय में गठजोड़ की संख्या कितनी होगी आदि।
विज्ञापनों के अन्य रूपों की तुलना में इन इन्फ्लूएंसर के अधिक प्रभाव के साथ-साथ शेयर बाजार तथा वित्तीय योजनाओं के प्रति दिलचस्पी बढ़ने के कारण ब्रोकर और वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियों की ऐसी सामग्री तैयार करने वालों पर निर्भरता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है। ऐसी कई कंपनियों के पास आमदनी-साझा करने की व्यवस्था भी है। हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियम सभी के लिए समान होने चाहिए और इससे सबके लिए समान अवसर बनने चाहिए।
मनीफ्रंट के संस्थापक मोहित गंग ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोगों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल, दुरुपयोग होने के साथ-साथ उन्हें ट्रोल भी किया जा रहा है। यह अच्छा है कि इस बढ़ते समुदाय के लिए कुछ जमीनी नियम तय किए जा रहे हैं। उम्मीद यही है कि नियम सभी इकाइयों और बाजार भागीदारों के लिए एक समान होंगे।’
पिछले साल सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने पहली बार संकेत दिया था कि बाजार नियामक इस तरह के मुद्दों पर गौर कर रहा है और नियम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। बाजार नियामक ने पिछले कुछ महीनों में यूट्यूब वीडियो या यहां तक कि थोक स्तर पर एसएमएस भेजकर चलाई जाने वाली योजनाओं को लेकर कई आदेश पारित किए हैं।
इस तरह के कदम ऐसे समय में उठाए जा रहे हैं जब पंजीकृत निवेश सलाहकारों (आरआईए) और शोध विश्लेषकों के लिए विज्ञापन संहिता में सख्ती लाई गई है।
अप्रैल से प्रभावी नई संहिता के तहत आरआईए और आरए को सेबी द्वारा अधिकृत संस्थाओं से इस तरह के संचार के लिए मंजूरी लेनी होगी और इस प्रक्रिया में शुल्क का भुगतान भी करना होगा। इसके अलावा, नई संहिता विज्ञापन में कुछ प्रशंसापत्र, तकनीकी भाषा के इस्तेमाल के साथ पिछले प्रदर्शन आदि के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है।
प्रभावशाली लोगों की आमदनी और उनका कामकाज भी कई प्राधिकरणों की जांच के दायरे में आया है। खबरों के मुताबिक, आयकर विभाग ने 15 प्रभावशाली लोगों को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने विज्ञापनों से होने वाली आमदनी के बावजूद न तो कोई भुगतान नहीं किया है या बहुत कम कर भुगतान किया है। प्राधिकरण की जांच के दायरे में 30 अन्य प्रभावशाली लोग भी हैं।