आईपीओ में अब निवेशकों का पैसा लंबे समय के लिए बेवजह नहीं फंसा रहेगा। मार्केट रेगुलेटर सेबी अब इसका इंतजाम करने जा रही है।
सेबी आईपीओ की पूरी प्रक्रिया में सुधार लाना चाहती है और इस पर काम चल रहा है। सेबी के चेयरमैन सीबी भावे का कहना है कि इसका कोई वजह ही नहीं बनती कि निवेशक का पैसा उसके खाते से निकाल लिया जाए जबकि उसे यह भी नहीं भरोसा हो कि उसे आईपीओ में शेयर आवंटित होंगे या नहीं।
उन्होने आईपीओ से जुड़े इंटरमीडियरीज से पूछा कि आखिर 21 दिनों तक वो इस पैसे का क्या करते हैं। उनका कहना था कि निवेशकों से तभी पैसा लेना चाहिए जब इसकी जरूरत हो और टेक्नोलॉजी की मदद से ऐसा इंतजाम किया जा सकता है। उनका मानना था कि निवेशक से तभी पैसा लिया जाए जब उसे शेयर एलॉट हो जाएं जिससे कि उसे रिफंड की झंझटों में न पड़ना पड़े।
हालांकि उन्होने यह भी कहा कि यह सुधार तुरंत होना तो फिलहाल मुमकिन नहीं लगता। इसे स्वैच्छिक आधार पर ही लागू करना होगा और इस पर अगले तीन महीनों में फैसला ले लिया जाएगा। जहां तक एलॉटमेंट की अवधि का सवाल है फिलहाल इसमें अभी 21 दिन लगते हैं, शुरुआत के लिए इस अवधि को घटा कर सात दिन किए जाने की जरूरत है। सेबी की अगली बोर्ड बैठक इस महीने ही होनी है।
शेयर बाजार में उतरने वाली कंपनियों के आईपीओ की प्राइसिंग को लेकर भी सेबी चिंतित है। उसका मानना है कि इश्यू की प्राइसिंग के मामले में मर्चेन्ट बैंकर और इश्यू लाने वाली कंपनी दोनों का नजरिया एक जैसा ही होता है।
सेबी के चेयरमैन सीबी भावे के मुताबिक लोगों का यह मानना है कि चूंकि बाजार इस समय काफी नीचे आ चुका है इसलिए आईपीओ लाने का यह सही समय नहीं है। लेकिन उनका सवाल था कि बाजार के हालात इश्यू की प्राइसिंग पर कितना असर डालते हैं।
अर्न्स्ट ऐंड यंग आईपीओ कॉन्क्लेव 2008 के दौरान भावे ने कहा कि हमे पश्चिमी कंपनियों को नहीं देखना चाहिए जो लिक्विडी की कमी से जूझ रहे हैं, हमें घरेलू कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए जो विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण कर रही हैं और जिन्हे पूंजी की जरूरत होगी, उनका कहना था कि बाजार की इंटरमीडियटरी होने की हैसियत से क्या हम लोग इन कंपनियों को सही वित्तीय संसाधन जुटाने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं?
उन्होने कहा कि करीब 30 कंपनियों के आईपीओ दस्तावेजों को मंजूरी दी जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद बाजार के हालात को देखते हुए वो बाजार में नहीं उतर रहे हैं। फरवरी और मार्च में तो कई आईपीओ वापस ले लिए गए, इनमें वोकहार्ट हॉस्पिटल्स, एम्मार-एमजीएफ और एसवीईसी कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। ये सब रिलायंस पावर के आईपीओ के बाद हुआ जिसमें बहुत बडी तादाद में एप्लिकेशंस आईं और जिसकी लिस्टिंग बहुत खराब रही।
सेबी के चेयरमैन ने छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए एक प्लैटफार्म बनाने पर भी चर्चा की। उनके मुताबिक हम लोग इन उद्यमियों को एक अच्छा बाजार देने में असफल रहे हैं। इनके लिए एक सेगमेंट की तलाश करनी होगी, बीएसई ने पहले इनके लिए ही इंडोनेक्स्ट प्लैटफार्म की शुरुआत की थी लेकिन वो काम नहीं कर सका।