भारत का बाजार नियामक डेरिवेटिव ट्रेडिंग (Derivatives trading) के नियमों में बदलाव पर विचार कर रहा है। इसकी मकसद ऑप्शन ट्रेडिंग में तेज इजाफे से पैदा हो रहा जोखिम दूर करने की कोशिश करना है।
इस मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि नए नियमों में विकल्प अनुबंधों के लिए ऊंचे मार्जिन और अधिक विस्तृत खुलासे शामिल हो सकते हैं। पिछले चार महीनों में एक्सचेंजों, ब्रोकरों और फंडों के साथ कई बैठकों के बाद इन पर विचार किया जा रहा है।
भारत में इंडेक्स और स्टॉक ऑप्शन में कारोबार पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। इसे खासकर छोटे निवेशकों से बढ़ावा मिला है। वर्ष 2023-24 में कारोबार वाले इंडेक्स ऑप्शनों का अनुमानित मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने से अधिक बढ़कर 907.09 लाख करोड़ डॉलर हो गया।
देश की वित्त मंत्री ने पिछले महीने आगाह किया था कि वायदा और विकल्प के खुदरा कारोबार में ज्यादा तेजी आने से भविष्य में न सिर्फ बाजारों के लिए बल्कि निवेशक धारणा के लिहाज से भी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।
एक सूत्र जो नियामकीय अधिकारी है, ने कहा कि उचित जोखिम खुलासे और अत्यधिक अटकलों या संभावित हेरफेर को रोकने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। सूत्रों का कहना है कि नियामक जिस पहले कदम पर विचार कर रहा है, वह है ऑप्शन ट्रेडिंग को शेयर में अंतर्निहित नकदी कारोबार के साथ जोड़ना, जिससे कि कम तरलता वाले शेयरों में ओपन पोजीशन के बिल्ड-अप को नियंत्रित किया जा सके।
उनका कहना है कि यदि नकदी कारोबार के मुकाबले ऑप्शन पोजीशन का अत्यधिक बिल्ड-अप बनेगा तो ट्रेडिंग ऑप्शन के लिए मार्जिन जरूरत बढ़ जाएगी।
भारत में ऑप्शन कारोबार की मात्रा नकदी कारोबार से लगभग चार गुना अधिक है, जबकि वैश्विक औसत 5 से 15 गुना तक है। दूसरे सूत्र ने कहा कि इस अनुपात ने चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका में डेरिवेटिव-नकदी अनुपात करीब 9 गुना है।
सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक एक्सचेंजों से ब्रोकरों पर सपाट शुल्क लगाने पर जोर देने की भी योजना बना रहा है, भले ही उनका कारोबार कितना भी है। इस महीने के शुरू में सेबी ने व्यक्तिगत स्टॉक डेरिवेटिव के लिए नियम सख्त बनाए जाने का सुझाव दिया था और यदि इन पर अमल हुआ तो कम तरलता वाले शेयरों से संबंधित डेरिवेटिव हट जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित बदलावों पर चर्चा की जा रही है और पेश किए जाने से पहले इन्हें अगले कुछ महनों के दौरान सार्वजनिक विचार-विमर्श के लिए रखा जाएगा।
फ्यूचर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एफआईए) के आंकड़ों के अनुसार 2023 में दुनियाभर में 108 अरब ऑप्शन अनुबंधों का कारोबार हुआ, जिनमें से 78 प्रतिशत भारतीय एक्सचेंजों से जुड़ा हुआ था। देश में डेरिवेटिव ट्रेडिंग में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 35 प्रतिशत है। अप्रैल में भारत के सबसे बड़े एक्सचेंज एनएसई पर किए गए 78 प्रतिशत कारोबार 10 लाख रुपये से कम के थे।