भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) चीफ माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) की मुश्किलें बढ़ सकती है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स द्वारा रिव्यू किए गए सार्वजनिक दस्तावेजों के मुताबिक, बुच ने अपने सात साल के कार्यकाल के दौरान एक कंसल्टेंसी फर्म से रेवेन्यू कमाना जारी रखा, जो संभावित रूप से नियामक अधिकारियों के लिए नियमों का उल्लंघन था।
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) से जुड़े बुच की जांचों में उनके पिछले निवेशों के कारण हितों के टकराव का आरोप लगाया है। गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले ग्रुप के खिलाफ पिछले साल जनवरी में लगाए गए आरोपों से ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज समेत अन्य कंपनियों के शेयर की कीमतों में बड़ी गिरावट आई। हालांकि बाद में ग्रुप के शेयरों ने रिकवरी कर ली। इसके बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ जांच शुरू की थी। वर्तमान में ग्रुप के खिलाफ केवल एक मामले की जांच जारी है।
बुच ने 11 अगस्त को एक बयान में हितों के टकराव के आरोपों से इनकार किया और इसे “चरित्र हनन” का प्रयास बताया।
इसके अलावा, अमेरिकी शॉर्टसेलर ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में बुच और उनके पति द्वारा संचालित दो परामर्श फर्मों – सिंगापुर स्थित अगोरा पार्टनर्स और भारत स्थित अगोरा एडवाइजरी – को उजागर किया।
बुच साल 2017 में सेबी में शामिल हुईं और मार्च 2022 में उन्हें शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया। कंपनी रजिस्ट्रार के सार्वजनिक दस्तावेजों के अनुसार, उन सात वर्षों में, एगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड, जिसमें बुच की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने 3.71 करोड़ रुपये ($442,025) का राजस्व अर्जित किया। रॉयटर्स ने इन दस्तावेजों को रिव्यू किया है।
बुच की होल्डिंग्स संभावित रूप से सेबी की 2008 की नीति का उल्लंघन करती हैं, जो अधिकारियों को लाभ के पद पर रहने, वेतन प्राप्त करने या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों से पेशेवर फीस प्राप्त करने से रोकती है।
बुच ने अपने बयान में कहा कि कंसल्टेंसी फर्मों के बारे में सेबी को जानकारी दी गई थी और उनके पति ने 2019 में यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद अपने कंसल्टेंसी बिजनेस के लिए इन फर्मों का इस्तेमाल किया था। बुच और सेबी के प्रवक्ता ने टिप्पणी मांगने वाले रॉयटर्स के ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया।
हिंडनबर्ग ने सिंगापुर कंपनी के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि बुच ने मार्च 2022 में एगोरा पार्टनर्स में अपने सभी शेयर अपने पति को ट्रांसफर कर दिए। हालांकि, मार्च 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी के रिकॉर्ड के अनुसार, बुच के पास अभी भी भारतीय कंसल्टेंसी फर्म में शेयर हैं।
रॉयटर्स द्वारा रिव्यू किए गए दस्तावेजों में यह विवरण नहीं है कि कंसल्टेंसी फर्म द्वारा किस प्रकार का बिजनेस किया गया और न ही ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध है जिससे यह संकेत मिलता हो कि इन रेवेन्यू का अदाणी ग्रुप से कोई संबंध था।
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भारत सरकार के पूर्व शीर्ष नौकरशाह और बुच के कार्यकाल के दौरान सेबी बोर्ड के सदस्य, सुभाष चंद्र गर्ग ने फर्म में उनकी इक्विटी और इसके निरंतर बिजनेस ऑपरेशन को आचरण का “बहुत गंभीर” उल्लंघन बताया।
गर्ग ने कहा, “बोर्ड में शामिल होने के बाद उनके लिए कंपनी का मालिकाना हक जारी रखने का कोई औचित्य नहीं था। खुलासे करने के बाद भी उन्हें अनुमति नहीं दी जा सकती थी। यह उन्हें नियामक पर पूरी तरह से अयोग्य स्थिति में लाता है।”
बुच ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या उन्हें भारतीय कंसल्टेंसी फर्म में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने की छूट दी गई थी। इस बारे में उनसे पूछे गए सवाल का भी जवाब नहीं दिया गया।
गर्ग और एक सेबी बोर्ड सदस्य के अनुसार, बुच या किसी अन्य अधिकारी द्वारा बोर्ड को उनके व्यावसायिक हितों के बारे में कोई खुलासे नहीं किए गए थे।
बोर्ड के सदस्य ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा कि, “वार्षिक खुलासे करने की आवश्यकता थी, लेकिन बोर्ड के सदस्यों के खुलासे को जानकारी या जांच के लिए बोर्ड के सामने नहीं रखा गया था।”
गर्ग ने कहा, “निश्चित रूप से, किसी भी सदस्य के खुलासे पर चर्चा नहीं की गई। यदि खुलासे केवल तत्कालीन अध्यक्ष अजय त्यागी के सामने किए गए थे, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है।”
क्या खुलासे त्यागी के समक्ष किए गए थे या नहीं, इस बारे में संदेश (Messages) और कॉल (calls) का कोई जवाब नहीं मिला।