सूचीबद्ध गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों के लिए खुलासा नियमों में नरमी के प्रस्ताव पर पूंजी बाजार नियामक सेबी और केंद्र सरकार की राय अलग-अलग है। सूत्रों ने कहा कि इसका क्रियान्वयन आसान नहीं है क्योंकि जब कंपनी अपने ऋणपत्र एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कराएगी तब न्यूनतम खुलासे की दरकार होगी। बाजार नियामक का मानना है कि खुलासा की अनिवार्यता को एक झटके में खत्म नहीं किया जा सकता, अन्यथा निवेशक कंपनी की वित्तीय स्थिति और अन्य सूचनाएं पाने में सक्षम नहीं होंगे और उनका हित प्रभावित होगा। सूत्रों ने कहा, नियामक ने प्राथमिक बाजार व बॉन्ड बाजार पर संबंधित समिति से ढांचा तैयार करने और उस पर वित्त मंत्रालय व अन्य हितधारकों से चर्चा करने को कहा है।
अभी तक सूचीबद्ध एनसीडी को अपनी आय व सूचीबद्धता से जुड़े अन्य अनुपालन मौजूदा अनिवार्यताओं के अनुसार करने होते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने राहत पैकेज की घोषणा के समय कहा था कि निजी फर्में अगर अपना एनसीडी सूचीबद्ध कराती हैं तो उसे सूचीबद्ध इकाई नहीं माना जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी निजी फर्म ने सार्वजनिक पेशकश के जरिए एनसीडी उतारी है तो उसे सेबी के सूचीबद्धता खुलासे के नियम या अनिवार्यता का अनुपालन नहीं करना होगा क्योंकि उसे सूचीबद्ध इकाई नहीं माना गया है।
एक सूत्र ने कहा, नियामक ने आंतरिक तौर पर या मंत्रालय के साथ इसके लिए अपनाए जाने वाले ढांचे पर अभी चर्चा नहीं की है। अगर एनसीडी सूचीबद्ध कराने वाली कंपनी को सूचीबद्ध इकाई नहीं माना जाएगा तो फिर नियम में बदलाव की दरकार होगी।
सेबी के नियम के मुताबिक, ऋण प्रतिभूतियों के सार्वजनिक निर्गम का प्रस्ताव करने वाले कंपनी को अंकेक्षित वित्तीय विवरण मुहैया कराना होता है जो पेशकश दस्तावेज की तारीख से छह महीने से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए।
हालांकि सूचीबद्ध इकाइयां उस अंतरिम अवधि का अपना अनअंकेक्षित वित्तीय विवरण सामे रख सकती हैं, न कि अंकेक्षित।
समझा जाता है कि सेबी ने कई असूचीबद्ध एनसीडी को सूचीबद्ध कराने को कहा है। हालांकि विशेषज्ञों का कंपनी ऐसा करने के लिए तभी आगे आ सकती हैं जब खुलासे की अनिवार्यताओं से छूट मिलेगी।
साल 2019 में काफी एनसीडी बाजार में उतारे गए क्योंकि नकदी संकट के बाद बैंकों व म्युचुअल फंडों में रकम की कमी हो गई थी। कई एनबीएफसी ने नियामकीय अनिवार्यता का अनुपालन करने के लिए बॉन्ड के सार्वजनिक निर्गम का विकल्प चुना क्योंकि बड़ी फर्मों को बॉन्ड के जरिए कुल उधारी का 25 फीसदी उगाहना होता है।
प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, 2019-20 में फर्मों ने असूचीबद्ध कॉरपोरेट बॉन्ड व गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्रों के जरिए 64,405 करोड़ रुपये जुटाए। वहीं 5.93 लाख करोड़ रुपये की एनसीडी उतारी गई। एनसीडी को शेयरों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता और सामान्य तौर पर परिवर्तनीय ऋणपत्रों, बैंकों की सावधि जमाएं और कॉरपोरेट डिपॉजिट के मुकाबले उसकी ब्याज दरें ऊंची होती है।
