एसबीआई म्युचुअल फंड ने मंगलवार को एसबीआई क्वांट फंड पेश करने की घोषणा की। यह फंड चार स्टाइल बास्केट्स (मोमेंटम, वैल्यू, क्वालिटी और ग्रोथ) में आवंटन के लिए मल्टी फैक्टर निवेश का तरीका अपनाएगा। निवेश का फैसला फंड हाउस के क्वांट मॉडल के हिसाब से किया जाएगा। अल्गोरिदम से चार कारकों यानी फैक्टर का भार तय होगा, जो सापेक्षिक प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। बेहतर प्रदर्शन वाले कारक का भारांक बढ़ेगा।
हालांकि आवंटन तब 25-25 फीसदी के समान भार तक वापस लाया जाएगा जब उम्दा प्रदर्शन करने वाले फैक्टर का भार 35 फीसदी के ऊपरी स्तर पर पहुंच जाएगा। पुनर्संतुलन का काम तब भी हो सकता है जब सबसे खराब प्रदर्शन वाले फैक्टर का भार -8 फीसदी के निचले स्तर पर चला जाए। फंड के मुताबिक मॉडल के तहत शेयरों की पहचान डेटा के आधार पर मोमेंटम, क्वॉलिटी या ग्रोथ के तौर पर होगी।
ग्रोथ स्टॉक उन्हें कहा जाता है जिनकी आय वृद्धि ऊंची हो और आय अपग्रेड भी। वैल्यू स्टॉक का मूल्यांकन कम होता है। क्वॉलिटी स्टॉक का इक्विटी पर रिटर्न ज्यादा होता है, साथ ही आय में स्थिर वृद्धि और कम कर्ज होता है। मोमेंटम के मानकों में अल्पावधि और लंबी अवधि में कीमत प्रदर्शन शामिल है।
एसबीआई फंड ने कहा कि मल्टी फैक्टर मार्ग अपनाने का फैसला उसके एकल फैक्टर फंड के मुकाबले फायदा मिलने के कारण हुआ है। उसने कहा कि कई फैक्टर को एक साथ जोड़े जाने से विशाखन का मौका मिलता है, जिससे वैयक्तिक कारकों के प्रदर्शन से होने वाले उतार चढ़ाव से आसानी से बचने में मदद मिलती है। साथ ही इसमें गिरावट में कमी की क्षमता होती है और यह जोखिम समायोजित ज्यादा रिटर्न देता है।
एसबीआई फंड मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक और सीईओ नंद किशोर ने कहा कि मल्टी फैक्टर के साथ निवेश विभिन्न फैक्टर को जोड़ देता है जिससे रिटर्न की चक्रीयता से आसानी से बाहर निकलने और फैक्टर के चयन में व्यवहारिक झुकाव कम हो जाता है।