रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। बाजार के जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजे आने से पहले बनी सतर्कता की वजह से रुपये में यह कमजोरी आई है। फेड की बैठक के नतीजे बुधवार को भारतीय बाजार बंद होने के बाद आएंगे।
मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.04 पर बंद हुआ, जबकि सोमवार को यह 82.90 पर बंद हुआ था। इसके पहले रुपये ने 16 फरवरी को डॉलर के मुकाबले 83 का निचला स्तर छुआ था।
कोटक सिक्योरिटीज के अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘फेड की प्रस्तावित बैठक की वजह से बाजार में घबराहट है। फेडरल रिजर्व का रुख आक्रामक रह सकता है और इसी वजह से बाजार में बिकवाली देखी जा रही है। यह बिकवाली कल तक जारी रह सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘बुधवार शाम तक रुपया डॉलर के मुकाबले 82.90 से 83.10के बीच रह सकता है।’ इस बीच डॉलर इंडेक्स मजबूत होकर104.01 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि यह इसके पहले 103.41 पर बंद हुआ था। यह इंडेक्स छह प्रमुख मुद्राओं के बॉस्केट के मुकाबले डॉलर की ताकत को आंकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूदा वित्त वर्ष में 57.6 अरब डॉलर बढ़ गया है। प्रमुख विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों में चीन के बाद भारत में ही सबसे ज्यादा भंडार है। डॉलर का भंडार रखने वाले अन्य प्रमुख देशों में जापान, ब्राजील और ताइवान शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक 8 मार्च, 2024 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 636.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया जो वित्त वर्ष 2023-24 के करीब10.9 महीने के आयात के लिए काफी है और सितंबर 2023 तक भारत के कुल बाह्य ऋण बकाये के 100 फीसदी से ज्यादा है।
रिजर्व बैंक ने जनवरी में शुद्ध रूप से 1.95 अरब डॉलर की खरीद की है। महीने के दौरान केंद्रीय बैंक ने 10.4 अरब डॉलर की खरीद और 8.4 अरब डॉलर की बिक्री की।