रियल एस्टेट सेक्टर अब रियल संकट में लग रहा है। शेयर बाजार में इस सेक्टर के शेयरों का जो हाल हो रहा है, वो तो है ही अब रियल एस्टेट कंपनियां को पानी गले तक आता दिख रहा है।
बाजार की हालत और पैसे की किल्लत से जूझ रही इन कंपनियों को अब पैसे जुटाने के लिए अपने शेयर गिरवी रखने पड़ रहे हैं। यह नहीं कई कंपनियों के प्रमोटर अपनी प्रॉपर्टी भी गिरवी रख रहे हैं ताकि अपने फाइनेंसरों से 14-18 फीसदी की ऊंची ब्याज दर पर पैसा जुटाया जा सके।
ऐसी तीन रियल एस्टेट कंपनियों ने कर्ज जुटाने के लिए अपने शेयर इंडियाबुल्स फाइनेंशियल सर्विसेस और दुबई के बैंक सारासिन ऐंड कंपनी लि. और क्रेडिट सुइस के पास गिरवी रखे हैं। एक्सचेंज को दी गई जानकारी के मुताबिक ये कंपनियां हैं आकृति सिटी, ओमेक्स और शोभा डेवलपर्स, जिन्होंने अपनी प्रॉपर्टी और शेयरों को गिरवी रखकर लोन लिया है।
अंसल प्रॉपर्टीज के प्रमोटरों ने अपना 25 करोड क़ा लोन चुका दिया है। सेक्टर के एक जानकार के मुताबिक कई कंपनियों ने अपनी बड़ी बड़ी जमीनें रेहन पर रख दी है और लिक्विड सिक्योरिटी के लिए उन्होंने अपने शेयर गिरवी रखे हैं। प्रमोटरों ने अपनी गारंटी भी दी है। सूत्रों के मुताबिक ओमेक्स ने इंडियाबुल्स से 300 करोड़ का कर्ज लिया है और इसका करीब दो तिहाई हिस्सा चुका भी दिया है।
पिछले साल 4 दिसंबर को कंपनी के प्रमोटरों ने अपनी 14.4 फीसदी हिस्सेदारी यानी कुल 25,058,000 शेयर इंडियाबुल्स के पास गिरवी रखे थे। एक रियल एस्टेट फंड के सीईओ के मुताबिक रियल एस्टेट शेयरों में आई भारी गिरावट के साथ ही प्रमोटर अपना मार्जिन कवर करने के लिए ज्यादा से ज्यादा शेयर गिरवी रख रहे हैं। और इस प्रक्रिया में कई कंपनियों ने अपना काफी बड़ा हिस्सा गिरवी रख दिया है।
आकृति सिटी की बात करें तो सूत्र बताते हैं कि कंपनी ने करीब 200 करोड़ रुपए इंडिया बुल्स से कर्ज लिया था और इसमें से करीब 80 करोड़ रुपए चुका भी दिए हैं। 31 दिसंबर 2007 में आकृति के प्रमोटरों ने इंडियाबुल्स के पास अपनी 5.86 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रखी थी जिससे इंडियाबुल्स की हिस्सेदारी बढ़कर 8.24 फीसदी हो गई थी।
7 फरवरी, 2008 में कंपनी के प्रमोटरों ने करीब 15,87,000 शेयर यानी अपनी 2.38 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रखी जिससे कंपनी में इंडियाबुल्स की हिस्सेदारी बढ़कर 10.62 फीसदी हो गई। सूत्रों का कहना है कि ये कर्ज तीन साल के लिए लिए गए थे और प्रमोटर को पहले साल कुल कर्ज का 25-30 फीसदी ही अदा करना था।
कई कंपनियों ने तो पिछले साल पब्लिक इश्यू के जरिए 1000 से 1200 करोड़ रुपए तक जुटाए हैं। पिछले साल 11 सितंबर को शोभा डेवलपर्स के प्रमोटरों ने करीब 5,700,000 शेयर यानी करीब 7.81 फीसदी की हिस्सेदारी दुबई के बैंक सारासिन ऐंड कंपनी के पास गिरवी रखे हैं। 19 सितंबर को कंपनी ने 10.70 फीसदी की हिस्सेदारी क्रेडिट सुइस के पास गिरवी रखी।