जब से बाजार की हालत खस्ता हुई है तब से बाजार में चल रही उठापटक का असर लगातार दूसरी तिमाही में भी ब्रोकिंग फर्मों की कमाई पर पडा है।
लेकिन इससे भी ज्यादा निराश होने की बात यह है कि इन फर्मों को फिलहाल इस संकट से उबरने के कोई आसार भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (एमओएफएस) का शुध्द मुनाफा तिमाही दर तिमाही के हिसाब से 40 प्रतिशत से ज्यादा घटा है जबकि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस तिमाही में ब्रोकिंग वॉल्यूम में 12 से 13 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
हालांकि मोतीलाल ओसवाल ने अभी तक इस सिलसिले में प्रोविजनिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है लेकिन इसके प्रबंध निदेशक रामदेव अग्रवाल अगली तिमाही को लेकर भी बहुत उत्साहित नहीं दिखते हैं। इसी तरह की दूसरी अग्रणी ब्रोकिं ग हाउस एडिलवायस कैपिटल का शुध्द मुनाफा भी 31 मार्च 2008 को समाप्त हुई तिमाही की तुलना में 22.8 प्रतिशत घटा है।
ठीक इसी तर्ज पर कंपनी के आर्बिट्राज और सेक्योरिटीज एवं डेरिवेटिव के कारोबार से होनेवाली आमदनी में पिछले साल समान अवधि के मुकाबले 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 70.25 करोड़ रुपए पर पहुंच गई लेकिन अगर अंतिम तिमाही की बात करें तो इसमें 48 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसके अलावा कंपनी के फीस और कमीशन से होनेवाले इनकम में साल-दर-साल के हिसाब से 8.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 88.85 करोड़ रुपया रहा लेकिन पिछली तिमाही की तुलना में इसमें 39 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
एडिलवायस ने इस तिमाही के लिए कोई प्रोविजन की व्यवस्था की है कि नहीं इस बात की पुष्टि करने के लिए कंपनी के प्रवक्ता उपलब्ध नहीं हो सके। धीमी गति से ही सही लेकिन ब्रोकिंग फर्म की आमदनी पर बाजार की उठापटक का व्यापक असर पड़ा है और इससे निपटने केलिए विश्लेषकों ने शेयरों की कीमत में सुधार करना शुरू कर दिया है। सिटीग्रुप ने एमओएफएसएल के मुनाफे में कमी को देखते हुए इससे किनारा करना शुरू कर दिया है।
मालूम हो कि एमओएफएसएल का मुनाफा सिटीग्रुप के अनुमान से 11 प्रतिशत कम रहा है जिसके फलस्वरूप सिटीग्रुप ने कंपनी के प्रति उदासीनता दिखाई है। इसी तर्ज पर सिटीग्रुप ने एडिलवायस के कैपिटल में भी दिलचस्पी लेनी बंद कर दी है क्योंकि एडिलवायस का का राजस्व विश्लेषकों के अनुमान से 25 प्रतिशत नीचे रहा है। सिटी ग्रुप की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एडिलवायस का वॉल्युम 26 प्रतिशत नीचे रहा जोकि इंडस्ट्री से थोड़ा उपर है।
यही हाल कोच्चि स्थित ब्रोकिंग हाउस जीयोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज का रहा है जिसका शुध्द मुनाफा इस तिमाही में 7.1 करोड़ रुपये रहा जोकि पिछली तिमाही की तुलना में 31 प्रतिशत कम है। जीयोजीत के प्रबंध निदेशक सीजे जॉर्ज ने कहा कि आगे की तिमाही में भी ब्र्रोकरेज फर्म का मुनाफा निराशाजानक ही रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर और घरेलू बाजार में अनिश्चितता के कारण निवेशक निवेशक करने से कतरा रहें है लेकिन इस साल की अंतिम तिमाही में हमें हालत के सुधरने की उम्मीद है।
हालांकि कंपनी ने डिफाल्टरों के कारण डूबते कर्ज की संख्या में बढ़ोतरी के मदद्देनजर एक करोड़ रुपये का प्रॉवीजन किया है। ब्रोकर इस खस्ता हालत से निपटने के लिए अपनी लागत में कटौती करने के साथ नए कारोबार पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहें हैं। उदाहरण के लिए एडलवायस ने अपने खर्चे में तेजी से कटौती की है और ब्रोकिंग हाउस का परिचालन खर्च में साल-दर-साल के हिसाब से 55 प्रतिशत की कमी आई है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के कदम उठाने से एडिलवायस के कुल लागत में अच्छी-खासी कमी आई है।
दूसरी और इंडियाबुल्स सिक्योरिटीज (आईएसएल) ने अपने राजस्व में विविधता लाने के लिए अगली तिमाही बहुत सारे कारोबार शुरू करनेवाली है जिनमें पोर्टफोलियो मैंनेजमेंट सर्विसेज, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, इंश्योरेंस और म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूशन प्रमुख होंगे। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिव्येश शाह ने कहा कि फिलहाल आईएसएल केराजस्व का स्त्रोत ब्रोकिंग कारोबार है और जैसे ही इसकेअन्य कारोबार शुरू होंगे तब ब्रोकिंग से आनेवाला राजस्व बढ़कर 70 प्रतिशत के करीब पहुंच जाएगा।
मालूम हो कि जनवरी में सवश्रेष्ठ स्तर पर पहुंचने के बाद बाजार में अब तक 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछली तिमाही में अधिकांश ब्रोकिंग हाउस जैसे एडिलवायस कैपिटल, रेलीगेयर इंटरप्राइजेज, प्राइम सेक्योरिटीज और जेएम फाइनेंशियल ने घाटे को देखते हुए प्रोवीजनिंग की व्यस्था करने की घोषणा की थी।
फिलहाल राहत नहीं
ब्रोकरेज तिमाही दर तिमाही गिरावट
(प्रतिशत में)
मोतीलाल ओसवाल 40.7
फाइनेंशियल सविर्सेज
जियोजित फाइनेंशियल 31
सविर्सेज
एडलवाइस कैपिटल 22.8