प्रतीकात्मक तस्वीर
पूंजी निर्माण में शेयर बाजार अहम भूमिका निभा रहा है। ऐसे में युवा पीढ़ी का निवेश की ओर रुझान भी काफी बढ़ा है और शेयर बाजार में भी जेनजी पीढ़ी (1997 से 2012 के बीच जन्मे लोग) की भागीदारी बढ़ती हुई देखी जा रही है। बाजार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने उद्योग के अनुमानों का हवाला देते हुए बताया कि लगभग एक-तिहाई निवेशक शेयर बाजार में हिस्सा ले रहे हैं।
पांडेय ने कहा, ‘यह रुझान न केवल औपचारिक वित्तीय प्रणालियों में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है, बल्कि लंबी अवधि के लिए संपत्ति सृजन और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में समावेशी भागीदारी के लिए एक महत्त्वपूर्ण अवसर के भी संकेत देता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि जेनजी की भागीदारी कम उम्र में बढ़ती वित्तीय भागीदारी के उत्साहजनक संकेत देती है।
सेबी प्रमुख दिल्ली में उद्योग निकाय एसोचैम द्वारा आयोजित 16वें कैपिटल मार्केट कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 तक कुल डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ से अधिक हो गई जबकि दिसंबर 2020 में यह 5 करोड़ से भी कम थी।
एनएसई की हर महीने जारी होने वाली ‘मार्केट पल्स’ रिपोर्ट से पता चलता है कि 30 साल से कम उम्र के निवेशकों की हिस्सेदारी मार्च 2018 के 22.9 प्रतिशत से बढ़कर, मार्च 2025 में 39.5 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उछाल बढ़ती वित्तीय साक्षरता और डिजिटल मंच के माध्यम से आसान पहुंच को दर्शाती है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के निवेशकों की संयुक्त हिस्सेदारी मार्च 2018 में 25.8 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 में सिर्फ 15.1 प्रतिशत रह गई है, जो युवा, तकनीकी जानकारी से लैस रहने वाले प्रतिभागियों द्वारा संचालित एक बदलती निवेश संस्कृति के संकेत देती है।
शेयरों में सीधे निवेश के अलावा, पिछले कुछ वर्षों में म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश में भी तेजी आई है। मार्च 2025 तक कुल फोलियो (खातों) की संख्या 23.45 करोड़ हो गई है जबकि एक साल पहले यह 17.8 करोड़ थी।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की वित्त वर्ष 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार 25 वर्ष से कम उम्र के लोगों द्वारा किए गए निवेश का 47 प्रतिशत इक्विटी योजनाओं में था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘युवा निवेशक अधिक जोखिम लेने को तैयार रहते हैं। जैसा कि इक्विटी सेगमेंट में उनके शुद्ध निवेश की बड़ी हिस्सेदारी से भी पता चलता है।’ पांडेय ने कहा, ‘डिजिटल परिवर्तन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के उभार, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का मजबूत होना अभूतपूर्व पैमाने पर दक्षता और समावेश को बढ़ावा दे रहा है।’
सेबी अध्यक्ष ने इक्विटी जारी करने में आई तेजी पर भी बात की, क्योंकि वित्त वर्ष 2025 में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से 1.7 लाख करोड़ रुपये की अब तक की सबसे अधिक धनराशि जुटाई गई।
अप्रैल तक सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 423 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जबकि वित्त वर्ष 2019 में यह 150 लाख करोड़ रुपये था। पूर्व अफसरशाह ने कहा कि यह निवेशकों के मजबूत भरोसे और कंपनी जगत के बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
पांडेय ने अपने संबोधन में कहा, ‘भारतीय प्रतिभूति बाजार, केवल वित्तीय लेनदेन की सुविधा देने वाला माध्यम ही नहीं है बल्कि यह पूंजी निर्माण का एक शक्तिशाली इंजन है।’