शेयर बाजार के सट्टेबाज और कीमतों को चढ़ाने और गिराने वाले मैनिपुलेटरों की गुरुवार को भी चांदी रही।
बुधवार को केजीएन इंडस्ट्रीज के शेयरों का भाव रीलिस्टिंग के पहले ही दिन एक सौ रुपए से 55 हजार रुपए तक पहुंचाने के बाद गुरुवार को एक बार फिर इन लोगों ने बाजार के पूरे सिस्टम का मजाक बना दिया।
गुरुवार को एक और पेनी (चवन्नी वाले शेयर)स्टॉक सिल्प टेक्नोलॉजीस के शेयर रीलिस्ट होने के पहले ही दिन करीब एक लाख फीसदी बढ़ गया। इस कंपनी का शेयर जो अस्सी पैसे का था, कारोबार के दौरान चढ़कर आठ सौ रुपए पर पहुंच गया जबकि बीएसई में इसका वॉल्यूम कुल 6,500 शेयरों का ही था।
सिल्प और केजीएन, दोनों ही शेयरों में फिल्टर नहीं लगाया गया था क्योकि नियमों के मुताबिक रीलिस्टिंग के पहले दिन प्राइस डिस्कवरी की गरज से कोई फिल्टर नहीं लगाया जाता। हालांकि इस तेजी पर बीएसई ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सिल्प टेक्नोलॉजीस के निदेशक आरके जैन ने इंदौर में पत्रकारों को बताया कि कुछ कारोबारियों में इस शेयर की कीमतों में कोई गड़बड़ी जरूर की है।
उनके मुताबिक हमारी एक छोटी सी कंपनी है जो सॉफ्टवेयर की डिजाइनिंग के कारोबार में लगी है, इसका टर्नओवर एक करोड रुपए है और लाभ कुल दो लाख रुपए सालाना का है। पिछले चार सालों में कंपनी के फंडामेंटल्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे इस शेयर में इतनी मांग आ जाए। उन्होने इसकी जानकारी सेबी और बीएसई को दे दी है। प्राइम डाटाबेस के पृथ्वी हल्दिया के मुताबिक बाजार के रेगुलेटरों को इसकी जांच में कोई देरी नहीं करनी चाहिए।
सिल्प टेक्नोलॉजीस को साल 2003 में शेयर बाजार में लिस्टिंग के मानक पूरे नहीं करने की वजह से बीएसई से सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि इस स्टॉक में 2001 से ही निवेशकों की रुचि नहीं होने से कारोबार नहीं हो रहा था लेकिन अक्टूबर 2007 में इसने अपना बिजनेस मॉडल बदला और कंपनी का नाम भी माजरशा हाउसिंग फाइनेंस लि.से बदलकर सिल्प कर लिया।
इस कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 23.88 फीसदी की है, राजकुमार सहगल, पुष्पलता सोनी, अशोक सी समानी और मोना दुबे के पास 6.17 फीसदी शेयर हैं और बाकी करीब 70 फीसदी फ्लोटिंग स्टॉक है। ब्रोकर भी इस शेयर की छलांग से हैरत में हैं, बाजार के जानकारों ने इस मामले में बीएसई के इस फैसले पर भी सवाल उठाया है कि बुधवार को केएनजी में भारी उछाल आने और इसकी जांच शुरू होने के बावजूद गुरुवार को इसकेकारोबार की अनुमति दी गई।
यह स्टॉक भी सात साल से डीलिस्टेड था और जांच तक इस पर कारोबार रोक भी दिया जाता तो कोई फर्क नहीं पड़ता। बजाए इसके बीएसई ने केएनजी का बंद भाव औसत के आधार पर शाम को 5216 तय कर दिया जबकि सुबह यह 100 रुपए पर लिस्ट हुआ था। गुरुवार को इस शेयर में 1.86 फीसदी की गिरावट रही और यह 5119 रुपए पर बंद हुआ।
दो दिन में ही हुए इन दो मामलों से जाहिर है लिस्टिंग के पहले दिन फिल्टर लगाने के नियमों की समीक्षा करना अब जरूरी लग रहा है। हालांकि सेबी ने साल भर पहले कुछ आईपीओ में लिस्टिंग के पहले ही दिन कीमतों में आए भारी उछाल को देखते हुए लिस्टिंग के पहले दिन 20 फीसदी का फिल्टर लगाने का प्रस्ताव रखा था।