भारतीय कंपनियों के विदेशों में लिस्टिंग को लेकर नया नियम आ गया है। अब भारतीय कंपनियां जल्द ही विदेशों मार्केट का एक्सपोजर लेने के लिए योग्य होंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने घरेलू कंपनियों को विदेशी बाजारों से कैपिटल तक पहुंचने में मदद करने के लिए, विदेशमें में सीधे लिस्टेड होने की अनुमति देने का फैसला किया है।
सीतारमण ने कहा, ‘ मई 2020 में कोविड-19 राहत पैकेज के हिस्से के रूप में इस कदम की घोषणा की थी, और प्रस्ताव पर आगे बढ़ने का निर्णय अब ले लिया गया है।’
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इस नए नियम के लागू होने के बाद से भारतीय कंपनियों की ग्लोबल कैपिटल तक पहुंच आसान होगी।
कब जारी होंगे नए नियम
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार अगले कुछ हफ्तों में इसके लिए नियम जारी कर देगी। एक सरकारी अधिकारी के हवाले से न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआत में कंपनियों को अहमदाबाद की गिफ्ट सिटी में इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विस सेंटर में सूचीबद्ध होने की अनुमति दी जाएगी और बाद में कंपनियां आठ से नौ बताए गए देशों में से किसी में भी सूचीबद्ध हो सकती हैं।
मौजूदा नियम की बात करें तो घरेलू लिस्टेड संस्थाओं की विदेशी लिस्टिंग अमेरिकी डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स (GDRs) के माध्यम से की जाती है।
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नए नियम से क्या होगा फायदा
सीधे विदेशी लिस्टिंग की अनुमति देने वाली नई पॉलिसी के बाद से यूनिकॉर्न या 1 बिलियन अमरीकी डॉलर से ज्यादा मूल्य वाले स्टार्टअप के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
सीधे विदेशी लिस्टिंग फ्रेमवर्क के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक सक्षम प्रावधान किया जाएगा. सीतारमण कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की भी प्रभारी हैं, जो कंपनी कानून को लागू करता है।
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सेबी ने की थी फ्रेमवर्क की सिफारिश
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पहले एक फ्रेमवर्क की सिफारिश की थी, जिसके तहत ऐसी सीधे लिस्टिंग की सुविधा थी। सेबी ने NYSE , NASDAQ, LSE और हांगकांग के साथ-साथ जापान, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैंड और कनाडा के अन्य प्रमुख एक्सचेंजों सहित मजबूत मनी-लॉन्ड्रिंग नियमों के साथ दस देशों के स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया था।