प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े में नरमी से फेडरल रिजर्व के दर कटौती करने की उम्मीद बढ़ी है। इसका असर आज भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला। प्रमुख सूचकांकों ने चार कारोबारी सत्रों की गिरावट पर विराम लगाते हुए तेजी दर्ज की। शुक्रवार को सेंसेक्स 84,929 पर बंद हुआ और इसमें 448 अंकों या 0.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। निफ्टी 151 अंक या 0.6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,966 पर बंद हुआ।
इस सप्ताह सेंसेक्स में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि निफ्टी में 0.3 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 5 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 471 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
नवंबर में अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सालाना आधार पर 2.7 फीसदी बढ़ा। यह 3.1 प्रतिशत की उम्मीद से कम था। उम्मीद से कम उपभोक्ता कीमतें बढ़ने से फेड रेट में कटौती की आस बढ़ गई है। अमेरिका में दर कटौती से भारत जैसे उभरते बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाते हैं। शुक्रवार को एफपीआई ने 1,831 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की, जबकि घरेलू संस्थानों ने 5,723 करोड़ रुपये की खरीदारी की। एफपीआई अब तक 1.57 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘निवेशक अब फेड के 2026 में ब्याज दरें कम करने वाले संकेतों का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, बैंक ऑफ जापान ने अपनी नीति दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर तीन दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा दिया है। यह ऐसा कदम है जो वैश्विक तरलता के रुझानों को बदल सकता है।
भारतीय बाजार की बात करें तो मजबूत वैश्विक संकेतों और खरीदारी से सूचकांकों में इजाफा हुआ। इसमें लार्जकैप शेयरों ने सबसे ज्यादा बढ़त हासिल की। अधिक सप्लाई की चिंताओं और कमजोर वृद्धि के अनुमान के कारण तेल की कीमतें नरम बनी रहीं। हालांकि धारणा सकारात्मक बनी हुई है, लेकिन व्यापार समझौते की टाइमलाइन और आने वाले समय में आर्थिक आंकड़े जारी होने को लेकर अनिश्चितता के बीच अल्पावधि में उतार-चढ़ाव रह सकता है।’
इस सप्ताह रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद शुक्रवार को रुपया 89.29 पर बंद हुआ। इस सप्ताह रुपये में कमजोरी के कारण इक्विटी पर दबाव पड़ा है।