मार्च के निचले स्तर से करीब 50 फीसदी सुधरने के बाद इक्विटी बाजार एक सख्त सीमा के दायरे में आ गया है। इसकी वजह कंपनियों की आय में लगातार आ रही गिरावट है। इससे पहले कंपनी कर कटौती के कारण दिसंबर तिमाही में यह उच्चस्तर पर पहुंच गया था। इस साल मार्च के निचले स्तर से इस महीने की शुरुआत में उच्चस्तर पर पहुंचने वाले निफ्टी-50 इंडेक्स में करीब 52 फीसदी की उछाल आई है। हालांकि इंडेक्स की अंतर्निहित प्रति शेयर आय मेंं लगातार गिरावट भी इसी दौरान हुई क्योंकि मार्च व जून तिमाही में कंपनियों का राजस्व घटा।
पिछले 12 महीने के आधार पर इंडेक्स ईपीएस पिछले नौ महीने में करीब 22 फीसदी घटा और यह जनवरी के आखिरी हफ्ते के करीब 450 रुपये के मुकाबले अब करीब 350 रुपये रह गया है। विश्लेषकों ने कहा कि इन चीजों ने तेजडिय़ों को इंडेक्स कंपनियों के पीई गुणक में हुए विस्तार को सही ठहराना मुश्किल बना दिया। निफ्टी-50 का पिछला पीई गुणक मार्च के 17.2 गुने के निचले स्तर से 16 सितंबर को 33.3 गुने की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया।
सिस्टमैटिक्स इंस्टिट्यूशन इक्विटी के शोध प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा, बाजार में काफी कम समय में काफी तेजी दर्ज हुई, जिसके कारण आय में इजाफे के अभाव के बीच निवेशकों में थकावट के संकेत नजर आए। हालिया उच्चस्तर पर सूचकांक साल 2000 के डॉटकॉम उछाल या 2007 की लीमन पूर्व तेजी के मुकाबले ज्यादा महंगे हैं।
पिछले 10 वर्षों में निफ्टी-50 का पिछला पीई गुणक औसतन 22 गुना रहा है। विश्लेषकों ने कहा कि बाजार में गिरावट शेयर कीमतों व अंतर्निहित आर्थिक व कॉरपोरेट फंडामेंटल के बीच कुछ संतुलन बहाल कर देगा।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक व प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, तेजी हमेशा से ही फिसलन भरी रही क्योंंकि उसने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनियों की आय में वी आकार की रिकवरी का अनुमान लगाया था। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के साथ पिछले कुछ हफ्तों के घटनाक्रम ने निवेशकोंं को इस अनुमान में कमी के लिए बाध्य किया है, जिसकी वजह से उच्चस्तरोंं पर मुनाफावसूली हो रही है।
बाजार पूंजीकरण में आशावाद स्पष्ट रूप से नजर आया है। सभी सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण करीब 1.62 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 22 मार्च को केंद्र सरकार की तरफ से हुई लॉकडाउन की घोषणा के दिन के मुकाबले करीब 3 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है। बाजार पूंजीकरण घटकर करीब 1.49 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
चोकालिंगम ने कहा, बाजार का मानना है कि कंपनियों की आय कोविड-19 के बाद के माहौल में ज्यादा होगी। मौजूदा माहौल में इसे उचित ठहराना मुश्किल है।
