बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकरों के नेटवर्थ की दरकार में कई गुना इजाफे का प्रस्ताव रखा है। यह कदम ब्रोकरों की तरफ से हुए डिफॉल्ट व क्लाइंटों की प्रतिभूतियों के दुरुपयोग की घटना के बाद देखने को मिल रहा है।
अभी ब्रोकरों के लिए नेटवर्थ की दरकार हर सेगमेंट में अलग-अलग है। उदाहरण के लिए प्रोफेशनल क्लियरिंग मेंबर (पीसीएम) या ट्रेडिंग व क्लियरिंग मेंबर (टीएम व सीएम) को कैश सेगमेंट में 3-3 करोड़ रुपये का नेटवर्थ रखना होता है और इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में 3 करोड़ रुपये और रखना होता है। सेबी ने पीसीएम के लिए आधार नेटवर्थ बढ़ाकर अक्टूबर 2022 से 25 करोड़ रुपये और उसके एक साल बाद 50 करोड़ रुपये रखने का प्रस्ताव किया है। कुछ बड़े ब्रोकरों को और ज्यादा नेटवर्थ दिखाना पड़ सकता है, अगर क्लाइंटों के रोजाना औसत कैश बैलेंस का 10 फीसदी अगर वे रखते हैं और यह 50 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाता है, या इसके लिए नियामक अलग स्लैब का प्रस्ताव रख सकता है। चर्चा पत्र में सेबी ने कहा है कि नेटवर्थ की मौजूदा सीमा दो दशक पुरानी है और नए खातों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसे मानकों पर दोबारा नजर डालने की दरकार है।
नियामक ने इस पर 18 अक्टूबर तक टिप्पणी मांगी है, जिसमें कहा गया है कि क्लाइंटों के दायित्व को पूरा करने में कैपिटल मार्केट इंटरमीडियरीज की नाकामी परिचालन जोखिम, क्लाइंटों की रकम अन्य प्रोप्राइटरी ट्रेडिंग में इस्तेमाल से पैदा हो सकती है। न्यूनतम पूंजी के मौजूदा नियम इन जोखिमों को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
नियामक ने कहा है कि ब्रोकरोंं की बैलेंस शीट की निगरानी की दरकार है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि ताजा प्रस्ताव से ब्रोकरों पर और दबाव बढ़ेगा, जो कई अन्य नियामकीय बदलाव का सामना कर रहे हैं। कुछ ब्रोकरों ने इस कदम के समय पर सवाल उठाया।
छोटे आकार वाले एक ब्रोकरेज फर्म के संस्थापक ने कहा, प्लेज री-प्लेज के नियम लागू करने और ब्रोकरों को क्लाइंटोंं की प्रतिभूतियों तक पहुंचने से रोकने के बाद जोखिम में काफी कमी आई है। ज्यादातर ब्रोकर पास थ्रू इंटरमीडियरीज के तौर पर काम करते हैं। पूंजी के विस्तृत नियम से इस सेगमेंट में प्रतिभागियों की संख्या घटेगी। कोविड महामारी के बाद उद्योग के साथ रिकॉर्ड संख्या में नए निवेशक जुड़े हैं, जो पहली बार निवेश कर रहे है।
सेबी ने कहा है, प्रतिभूति बाजार में निवेशकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह उचित है कि सदस्यों के नेटवर्थ की समीक्षा की जाए। ऐसा पाया गया है कि आधारभूत नेटवर्थ की मौजूदा सीमा काफी कम है, जैसा कि ट्रेडिंग मेंबर कारोबार करते हैं और उनके पास क्लाइंटों की जितनी संख्या है।
हाल के वर्षों मे सेबी ने अन्य इंटरमीडियरीज के नेटवर्थ में इजाफा किया है। साल 2014 में नियामक ने ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों के लिए नेटवर्थ 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दी थी। साल 2019 में पोर्टफोलियो मैनेजरों के लिए नेटवर्थ 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये की गई। क्रेडिट रेटिंग एजेंंसियों के लिए भी इसे संशोधित कर 5 करोड़ रुपये से 25 करोड़ रुपये किया गया है। सेबी ने कहा है कि उच्च नेटवर्थ की अनिवार्यता से ब्रोकिंग उद्योग क्लाइंटों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।