डेरिवेटिव्स मार्केट के लिए पिछला हफ्ता आश्चर्यजनक रूप से कीमतों के लिहाज से शांत रहा। डेरिवेटिव मार्र्केट में कीमतें पिछले पांच लगातार सत्रों में कम रही है। वॉल्यूम भी स्थिर रहे और अनिश्चतता का दौर भी देखने को कम ही मिला।
सूचकांक रणनीति
पिछले हफ्ते हालांकि निफ्टी सूचकांक 4.7 फीसदी गिरा,लेकिन उसके अलावा कोई बड़ा उतार-चढ़ाव सत्र नही रहा और उस अकेले दिन की दर निचले पायदान की ओर ही रहा। विदेशी संस्थागत निवेशकों(एफआईआई)ने कम कारोबार कर रहे बाजार में भी 40 फीसदी शेयर पर अपनी पकड़ बनाए रखी।
हालांकि वीआईएक्स सूचकांक की बात करें तो इसकी स्थिति में कुछ सुधार दिखने को मिला,और इसकी बिक्री में इजाफा दर्ज किया गया। उस दिन इसकी बिक्री 22 से 27 पर पहुंच गई। इस बात के बावजूद भी कि वीआईएक्स के ऐतिहासिक डाटा कुछ और कहते हैं, इसके अभी भी ऊपर उठने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। इस बाबत सबने एक बड़े इजाफे की बात सोची थी,पर जैसा ऊपर इसका जिक्र किया गया है,हफ्ता शांत ही बीता।
इसके अलावा,मंदीभरे हफ्ते में निफ्टी सूचकांक भी 35 फीसदी के दर पर बना रहा। साल 2004 और 2006 के मिड मई में खासी प्रभावी गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन सबसे खास बात यह होगी कि कि साल 2008 में भी पिछला वाकया दुहरा जाए।
हालांकि इस बारे में अब तक के संकेतों से तो नही लगता कि उस प्रकार का वाकया फिर से हो। वोलेटिलिटी और इंप्लाइड वोलेटिलीटी के अलावा दूसरे संकेतों (फ्यूचर्स प्रीमियम, डिस्काउंट, पुट काल अनुपात) की बात करें तो सब सामान्य रेंज में ही हैं। बाजार में इस बात के पूरे आसार हैं कि अगली गिरावट पूरी तरह से निश्चित है,लेकिन ऐसे कोई संकेत उपलब्ध नही हैं जो यह कह सके कि बाजार एकदम से खस्ता-हाल में है।
इसमें अभी और बुरे सेंटीमेंट्स का दौर चलना बाकी है, जो यह तय कर सके कि बाजार लुढ़क सकता है। हालांकि इसमें कोई दो राय नही हैं कि फंडामेंटल्स की स्थिति बेहद खराब हुई है। लेकिन ऐसा क्रमवार तरीके से हुआ है,और इसलिए डिस्कांडट भी निराशवादी तरीके से होगी जरूर,लेकिन बिना किसी पैनिक के क्रिएट हुए।
इन सबके अलावा,बाजार का लुढ़कना इस बात पर निर्भर करेगा कि हम वैश्विक ऊहापोह की स्थिति को नजरअंदाज करें,महंगाई को काबू में करने के लिहाज से सरकार वायदा कारोबार पर और बंदिशें लगाए। इस बाबत एक चिंताजनक संकेत यह है कि पूरे बाजार में फइनेंनसियल सेक्टर एक बहुत बड़े अंतर से खराब प्रदर्शन कर रहा है। सूचकांक वायदा बाजार की बात करें तो सिर्फ निफ्टी ही ऐसा सौदा है जिसके मझोले और बड़े सिरीजों में तरलता बाकी है।
ओपन इंट्रेस्ट की बात करें तो इसमें वास्तविक रूप से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। लेकिन निफ्टी स्पॉट-फ्यूचर के बीच डिफरेंशियल नग्ण्य हैं और अन्य संगत फ्यूचर सौदों के मध्य भी डिफरेंशियल कम ही है। यद्यपि सूचकांक वायदा में कोई तरलता नही है, ओपन इंट्रेस्ट ने खासा इजाफा दर्ज कर लिया है। स्पॉट लेवेल के लिए सीएनएक्स निफ्टी और निफ्टी मिडकैप 50 फ्यूचर्स दोनों ही अच्छे प्रीमियम के साथ कारोबार कर रहे हैं।
इन सेगमेंटों की बिकवाली का दौर शुक्रवार देर शाम को हुई थी। इस लिहाज से बैंक निफ्टी कुछ हद तक अच् छे डिस्काउंट पर काम कर रहा है। इस संबंध में वैनिला का अनुमान है कि स्पाट जूनियर और मिडकैप 50 में जल्द ही उछाल देखने को मिल सकता है,जबकि बैंक निफ्टी में अभी भी गिरावट का रुख बना हुआ है। दूसरी ओर सीएनएक्स आईटी ने सामान्य बाजार में खासा अच्छा प्रर्दशन किया है,जबकि स्पॉट वाले सेगमेंट में नग्ण्य छूट के साथ कारोबार कर रहा है।
नतीजतन,आईटी सेक्टर को फिर से अपनी स्थिति मजबूत करने में सहायता मिली क्योंकि दूसरी ओर रुपये में भी गिरावट दर्ज की गई है। अगर रुपया फिर से मजबूत होता है तो सीएनएक्स आईटी एक बार फिर से लुढ़कने वाली हालत में होगा। ऑप्शन मार्केट में तमाम पुट-कॉल रेशियो 0.94 पर बने हुए हैं,जिनकी सामान्य खरीददारी हुई है। गौरतलब है कि रह अनुपात ओपन इंट्रेस्ट के लिहाज से एक बेहतर संकेतक है।
खास बात यह कि यह सामान्य स्थिति में बना हुआ है। ऑप्शन फैलाव के लिहाज से देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि रिस्क और रिवार्ड अनुपात में बहुत कुछ ऐसा नही है,जिसे चुना जाए। बुलस्प्रैड आप्शन में लांग वर्सेस शार्ट के लिए लागत47.5 और ज्यादा से ज्यादा अदायगी 52.5 की है। जबकि वाइडर बुलस्प्रैड ऑप्शन में यी दर क्रमश:33 और 67 है।
जबकि बीयरस्प्रैड वाले ऑप्शन में यह दर 30 और 70 है। इस प्रकार दोनों आप्शनों के सेट्लमेंट होने से पहले ही टकराव होने के आसार हैं। दूसरी ओर स्ट्रैडल वाले ऑप्शन में लांग वर्सेस शार्ट के लिए लागत 142 जबकि शार्ट के लिए लागत 87 रह सकती है। इन दोनों स्थितियों में ज्यादा से ज्यादा अदायगी 113 की होती,जो एक सामान्य रिस्करिवार्ड अनुपात है। हालांकि अनिश्चतता को पूरी तरह से रियलाइज होने के लिए इन दोनो में किसी एक में उछाल दर्ज करनी होगी।
स्टॉक फ्यूचर सेगमेंट वाले में सबसे दिलचस्प पहलू हो सकता है कि शार्ट कवरिंग में इजाफा होना। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते एफ एंड ओ के ज्यादातर सेगमेंटों में गिरावट का रुख रहा था,और ट्रेंड को फॉलो करनेवालों के लिए कुछ खास नही बचा था,जो गिरावट के रूख के साथ चल सके। हालांकि सिपला एक पोंटेशियल कम रहा था, और शायद एचडीएफसी (ऐंटीबायोटिक सेक् शन ) के लिए मौका मिल सके। क्योंकि दवाओं का कारोबार अगले आने वाले दिनों में बेहजर रहने की उम्मीद है।