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जून में जमकर खरीदारी की म्युचुअल फंडों ने

Last Updated- December 07, 2022 | 10:40 AM IST

बाजार में मंदी के बावजूद फंड हाउस निवेशकों को आकर्षित करनें में सफल हो रहे हैं।


बाजार में मंदी के बावजूद म्युचुअल फंडों के एयूएम का सेंसेक्स की तुलना में कम गिरना यह दिखाता है कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए फंड हाउसों का नए तरीके आजमाना अब कामयाब हो रहा है।

मंदी की मार से बचने के लिए फंड हाउसों ने सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान और वैश्विक इक्विटी वाले फंडों पर ज्यादा फोकस किया जिसका परिणाम रहा कि जून में इन म्युचुअल फंड हाऊसों ने कुल 31.79 अरब की इक्विटी खरीदी जो मई में खरीदी गई 0.64 करोड़ की खरीदी गई इक्विटी से काफी ज्यादा है। पिछले तीन महीनों अप्रैल से लेकर जून तक सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले फंड भी यही रहे।

प्रिसिंपल ग्लोबल अपॉरचुनिटी फंड ने 8.28 फीसदी का रिटर्न दिया, वहीं एचएसबीसी इमर्जिंग मार्केट फंड ने 5.03 फीसदी का रिटर्न दिया जबकि बिरला सनलाइफ इंटरनेशनल इक्विटी फंड ने प्लान ए ने 4.59 फीसदी का रिटर्न दिया है। सेकंडरी इक्विटी बाजार में लगातार तीसरा महीना है जब म्युचुअल फंड इक्विटी के खरीदार बने हुए हैं जो इस बात का संकेत है कि मंदी के माहौल में भी फंड मैनेजर शेयरों में अवसर देख रहे हैं। 30 जून 2008 तक म्युचुअल फंडों ने कुल 76.14 अरब की इक्विटी की खरीदारी की है।

सेंसेक्स में पिछले छह महीने के दौरान आई 34 फीसदी गिरावट की तुलना में म्युचुअल फंड के एएमयू में सिर्फ 24 फीसदी की गिरावट देखी गई है जिससे निवेशकों के बढ़ते आत्मविश्वास का पता चलता है। क्रिसिल फंड सर्विस के प्रमुख कृष्णन सीतारामन ने कहा कि बेंचमार्क सूचकांक की तुलना में इक्विटी फंड के एयूएम में कम गिरावट आई है जिससे निवेशकों की मैच्योरिटी का संकेत मिलता है। अब निवेशक सेंसेक्स के निचले स्तरों पर भी खरीदारी कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि लोगों की बीच सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान की लोकप्रियता बढ़ी है जिन पर बाजार केउतार-चढ़ावों का ज्यादा असर नहीं पड़ता है। क्रिसिल रिसर्च के अनुसार पिछले एक महीने के दौरान सिर्फ लिक्विड फंडों की कीमत में ही 0.70 फीसदी का सुधार हुआ है जबकि दूसरे सभी क्रिसिल इनडाइसेस मंदी में चल रहे हैं। क्रिसिल कीरिसर्च के मुताबिक पिछले तीन महीनों के दौरान इक्विटी आधारित स्कीमो की कैश होल्डिंग में भी पर्याप्त सुधार हुआ है।

क्रिसिल का 250 इक्विटी आधारित स्कीमों का अध्ययन दिखाता है कि फरवरी से मई तक इन स्कीमों के पोर्टफोलियो में कैश कंपोनेंट की हिस्सेदारी 7.6 से बढ़कर 12.3 फीसदी हो गई है। कृष्णन सीतारामन ने कहा कि कुछ फंड ऐसे भी हैं जो 40 फीसदी या उससे ज्यादा के कैश कंपोनेंट पोर्टफोलियो के साथ बंद हुए हैं ताकि वह बाजार में लगातार जारी मंदी से बच सकें।

First Published - July 10, 2008 | 10:18 PM IST

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