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म्यूचुअल फंड दूसरे साल भी एंकर निवेश में FPI से आगे

एंकर निवेश में म्युचुअल फंड की बढ़ती हिस्सेदारी

Last Updated- December 13, 2023 | 10:25 PM IST
Mutual funds

आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों में एंकर निवेश के लिहाज से म्युचुअल फंड लगातार दूसरे साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को पीछे छोड़ सकता है। इस कैलेंडर वर्ष में अब तक देसी फंडों ने एंकर श्रेणी में 5,577 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, वहीं एफपीआई ने 5,427 करोड़ रुपये का निवेश किया।

साल 2022 में म्युचुअल फंडों ने एंकर श्रेणी में 9,026 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो एफपीआई के 7,105 करोड़ रुपये के निवेश के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा था। साल 2014 के बाद यह पहला मौका था जब म्युचुअल फंडों ने एंकर निवेश में एफपीआई को पीछे छोड़ा था।

इक्विटी योजनाओं में बढ़ते निवेश के बीच द्वि‍तीयक बाजारों की तरह म्युचुअल फंड एंकर बुक में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, इसके अलावा आईपीओ में भी ये खासा निवेश कर रहे हैं। लगातार दो वर्षों में म्युचुअल फंडों ने इक्विटी बाजार में निवेश के मामले में एफपीआई को पीछे छोड़ दिया है।

आईआईएफएल सिक्योरिटीज के प्रमुख (निवेश बैंकिंग) निगुण गोयल ने कहा, मौजूदा समय में इक्विटी योजनाओं की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 27 लाख करोड़ रुपये है। यह न सिर्फ आईपीओ बल्कि अन्य इक्विटी पेशकश मसलन ब्लॉक डील व क्यूआईपी में भी मजबूत देसी भागीदारी में इजाफा कर रहा है। साल 2023 में औसतन 65 फीसदी एंकर बुक देसी संस्थानों ने कवर किया।

साल 2022 में म्युचुअल फंडों ने शुद्ध रूप से 1.85 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी, वहीं उनका कुल निवेश साल 2023 में अब तक 1.55 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसकी तुलना में एफपीआई साल 2022 में 1.25 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे जबकि इस साल उसने 1.37 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।

बोफा इंडिया के सह-प्रमुख (इंडिया इन्वेस्टमेंट बैंकिंग) राज बालाकृष्णन ने कहा, देसी फंडों को मिल रहे मजबूत निवेश ने भारतीय बाजारों की सुदृढ़ता में बढ़ोतरी की है। पिछले चक्रों में यह कहा जाता था कि अगर एनवाईएसई को छींक आती है तो भारतीय बाजार को ठंड लग जाती है। यह अब स्पष्ट तौर पर सही नहीं है और भारतीय बाजार उस अवधि में भी मजबूत बना रहा है जब एफपीआई का निवेश नकारात्मक रहा।

एंकर निवेशक, संस्थागत निवेशक होते हैं और उन्हें आईपीओ खुलने से एक दिन पहले शेयर आवंटित किए जाते हैं। एंकर बुक में शेयर लेने वाले बड़े निवेशकों से खुदरा निवेशकों के बीच भरोसा कायम रखने में मदद मिलती है, जो मोटे तौर पर अन्य निवेशकों से संकेत हासिल करते हैं।

एमएफ व एफपीआई दोनों की तरफ से एंकर निवेश में सालाना आधार पर गिरावट आई है जबकि उतने ही इश्यू बाजार में उतारे गए हैं। इस गिरावट की वजह साल 2022 में भारतीय जीवन बीमा निगम के अब तक के सबसे बड़े आईपीओ को बताया जा सकता है। साल 2022 में अकेले बीमा कंपनी ने एंकर की रकम का 48 फीसदी हासिल किया। अगर एलआईसी को छोड़ दें तो इस साल का आईपीओ एंकर बुक साल 2022 के मुकाबले 19 फीसदी बड़ा है। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस से मिली।

विशेषज्ञों ने कहा, एमएफ के मुकाबले एफपीआई के कम एंकर निवेश की वजह आईपीओ के औसत आकार में आई गिरावट को बताया जा सकता है। साल 2023 में आईपीओ का औसत आकार 1,078 करोड़ रुपये रहा। नकदी की चिंता के कारण एफपीआई छोटे आईपीओ से दूर रहते हैं।

इस साल फंड हाउस में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ ने एंकर बुक में सबसे ज्यादा 801 करोड़ रुपये लगाए। इसके बाद निप्पॉन इंडिया का निवेश 556 करोड़ रुपये और एचडीएफसी का 556 करोड़ रुपये रहा।

First Published - December 13, 2023 | 10:25 PM IST

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