पिछले नौ महीनों में, रिटेल और एचएनआई यानी अमीर निवेशकों ने अपने म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेश पैटर्न के आधार पर शेयर बाजार की अस्थिरता पर अलग-अलग रुख अपनाया। सितंबर 2024 से जून 2025 की अवधि में, जहां रिटेल निवेशक अपने ऊंचे जोखिम वाले दांव पर ही टिके रहे, वहीं एचएनआई पोर्टफोलियो म्युचुअल फंड क्षेत्र में सुरक्षित विकल्पों की ओर केंद्रित हो गए।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़े से पता चला है कि स्मॉलकैप फंडों की कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में रिटेल निवेशकों की भागीदारी सितंबर 2024 के 63.4 फीसदी से बढ़कर जून 2025 में 65.2 पर पहुंच गई। समान अवधि में एचएनआई निवेशकों की भागीदारी 32.2 फीसदी से घटकर 30.5 फीसदी रह गई। दो अन्य उच्च-जोखिम श्रेणियों – मिडकैप और सेक्टोरल एवं थीमैटिक – में भी ऐसी ही स्थिति रही। लार्जकैप और लार्ज ऐंड मिडकैप श्रेणियों में विपरीत रुझान देखा गया। इनमें एचएनआई स्वामित्व में वृद्धि हुई और खुदरा हिस्सेदारी में गिरावट आई।
आनंद राठी वेल्थ के संयुक्त सीईओ फिरोज अजीज ने कहा, ‘खुदरा निवेशकों ने मजबूत वृद्धि वाले क्षेत्रों में अधिक उत्साह दिखाया है। खुदरा क्षेत्र के लिए स्मॉलकैप एयूएम मार्च के 1.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 2.31 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जो 20.76 फीसदी की वृद्धि है, जबकि मिडकैप एयूएम 2.12 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.49 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो 17.51 फीसदी की वृद्धि है। एचएनआई श्रेणी ने भी वृद्धि दर्ज की, लेकिन तेजी की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी रही, स्मॉलकैप में 18.41 फीसदी और मिडकैप फंडों में 16.16 फीसदी एयूएम वृद्धि के साथ।’
हाल के समय में एचएनआई निवेश का रुझान फंडों की सिफारिशों के अनुरूप ही है। पिछले दो वर्षों में, विशेषज्ञों ने स्मॉलकैप और मिडकैप क्षेत्र में मूल्यांकन जोखिम पर प्रकाश डाला है और निवेशकों को हाइब्रिड फंड या लार्जकैप-आधारित इक्विटी योजनाओं में निवेश करने की सलाह दी है।
सैपिएंट फिनसर्व के निदेशक पल्लव बागरिया ने कहा, ‘संपन्न और संस्थागत निवेशक लार्जकैप आधारित फंडों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जो तरलता और मूल्यांकन में सुविधा प्रदान करते हैं, जबकि खुदरा निवेशक मूल्यांकन को ध्यान में रखे बिना ही अधिक जोखिम उठा रहे हैं। यह निवेशक व्यवहार में आए एक खास अंतर को दर्शाता है। खुदरा निवेशक हाल के रिटर्न को देखते हैं, जबकि बड़े पोर्टफोलियो जोखिम-समायोजित रिटर्न और नकारात्मक पक्ष से सुरक्षा पर विचार करते हैं।’
तिमाही आंकड़े केवल सितंबर 2024 से उपलब्ध हैं। विश्लेषकों के अनुसार रिटेल और एचएनआई निवेशकों की श्रेणीवार हिस्सेदारी में दिखाई देने वाला बदलाव नौ महीने की अवधि के दौरान एकमुश्त और एसआईपी निवेश के रुझान का भी परिणाम है। हालांकि 2025 में एकमुश्त निवेश में काफी कमी आई, लेकिन एसआईपी निवेश में तेजी बनी रही।
म्युचुअल फंड किसी निवेश खाते को तब एचएनआई के रूप में वर्गीकृत करते हैं जब उसमें एक ही बार में 2 लाख रुपये से अधिक की राशि प्राप्त होती है। इसलिए, अधिकांश एसआईपी खाते, भले ही वे धनी निवेशकों के हों, एचएनआई के रूप में वर्गीकृत नहीं होते हैं। विश्लेषक स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों में निवेश के लिए एसआईपी विकल्प अपनाने की सलाह देते हैं, क्योंकि इन फंड योजनाओं अधिक उतार-चढ़ाव देखा जाता है। हर महीने एसआईपी निवेश का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं दो श्रेणियों में जाता है।