पांच साल तक दो अंक का मजबूत रिटर्न देने के बाद पिछले 6 महीने इक्विटी म्युचुअल फंडों के लिए चुनौतियों भरे रहे हैं। सितंबर 2024 के आखिर से बाजार में उतार-चढ़ाव और प्रमुख सूचकांकों में बड़ी गिरावट की वजह से पिछले 6 महीनों में इक्विटी आधारित कई योजनाओं ने घाटा दिया है। बाजार में गिरावट के कारण इक्विटी-आधारित इक्विटी योजनाओं की एनएवी में 6 महीने के आधार पर गिरावट आई है। पिछले छह महीनों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाली इक्विटी योजनाओं के मामले में एनएवी में गिरावट 1 प्रतिशत से कम रही है जबकि अधिक प्रभावित योजनाओं में यह 25 प्रतिशत तक रही है। हालांकि औसत तौर पर इक्विटी आधारित योजनाओं में 6 महीने के दौरान 10 फीसदी की कमजोरी दर्ज की गई है, जो इस दौरान निफ्टी 50 सूचकांक में आई गिरावट के अनुरूप है।
यह उन म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए कष्टदायक रहा है, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में दो अंक का ठोस रिटर्न मिल रहा था। लेकिन इक्विटी बाजार एक चक्र में चलता है और अस्थिरता इक्विटी का अभिन्न हिस्सा है। इक्विटी बाजार में मौजूदा गिरावट और उसकी वजह से इक्विटी योजनाओं में गिरावट कम कीमत पर निवेश करने के लिहाज से दीर्घावधि म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए अच्छा अवसर भी है।
यहां पांच श्रेणियों में 10 इक्विटी योजनाएं हैं – स्मॉल कैप, मिड कैप, लार्ज कैप, लार्ज और मिड कैप और फ्लेक्सी-कैप श्रेणी। इन्होंने हाल के दिनों में और साथ ही लंबी अवधि में अपना दमदार प्रदर्शन किया है। उनका पिछला ट्रैक रिकॉर्ड और अपेक्षाकृत जोखिम समायोजित अच्छा रिटर्न उन्हें इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश के इच्छुक लोगों के लिए अच्छा विकल्प बनाता है।
हमारा विश्लेषण इन पांच श्रेणियों की 227 रेग्युलर इक्विटी योजनाओं के नमूने पर आधारित है जो कम से कम पिछले पांच वर्षों से परिचालन में हैं। हमने पिछले छह महीने, एक वर्ष, 3 वर्ष और पांच वर्षों में बिंदु दर बिंदु रिटर्न पर उनकी संपूर्ण रैंकिंग के आधार पर इन पांच श्रेणियों में से प्रत्येक में से शीर्ष दो योजनाओं का चयन किया। इस वर्ष फरवरी के अंत में फंडों को शार्प रेशियो, सॉर्टिनो रेशियो, स्टैंडर्ड डेविएशन, उनके कुल एक्सपेंस रेशियो और एयूएम के आधार पर भी रैंकिंग दी गई। हमारी सूची में शामिल 10 फंड अल्पावधि और दीर्घावधि में जोखिम समायोजित ऊंचे रिटर्न, प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम अस्थिरता, कम एक्सपेंस रेशियो और अपेक्षाकृत ऊंची एयूएम का शानदार मिलाजुला रूप है।
वर्ष 2018 में शुरू हुई इस योजना का प्रबंधन चंद्रप्रकाश पाडियार करते हैं। वर्ष 2023 में सह-फंड प्रबंधक के तौर पर जीतेंद्र खत्री इससे जुड़े। यह स्कीम इस श्रेणी में 12वीं सबसे बड़ी स्कीम है और यह अपने नाम के अनुरूप ही फंड है, जिसमें इसके कई प्रतिस्पर्धियों की तरह लार्ज कैप आवंटन नहीं है। फरवरी 2025 तक इसके पोर्टफोलियो में स्मॉलकैप शेयरों का हिस्सा 84 प्रतिशत और मिडकैप निवेश 9 प्रतिशत है। नकद होल्डिंग 7 प्रतिशत है। इसके पोर्टफोलियो में तीन क्षेत्रों – मैटेरियल, इंडस्ट्रियल और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी- का इसकी परिसंपत्तियों में फिलहाल आधे से ज्यादा हिस्सा है। फंड अपने पोर्टफोलियो में शीर्ष-पांच शेयरों- सुदर्शन केमिकल्स, गोदरेज इंडस्ट्रीज, बीएएसएफ इंडिया, किर्लोस्कर न्यूमेटिक और आईडीएफसी फर्स्टबैंक के साथ अच्छी विविधता है। इन शेयरों का उसकी मौजूदा प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में 20 फीसदी हिस्सा है। स्कीम ने कुल 58 कंपनियों में निवेश किया है, जिसमें शीर्ष 10 शेयरों का पोर्टफोलियो में 35 प्रतिशत हिस्सा है। ताजा स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार स्कीम को पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए 43 दिन और एक-चौथाई हिस्सेदारी बेचने के लिए 22 दिन की आवश्यकता होगी।
स्मॉलकैप क्षेत्र में सबसे बड़ी और इस श्रेणी की सबसे पुरानी इस योजना का प्रबंधन शुरू से ही समीर राछ कर रहे हैं। सबसे बड़ी स्कीम होने के बावजूद, इस फंड का लिक्वीडिटी स्ट्रेस मानकों में निचला स्थान है। फरवरी की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 10 सबसे बड़ी योजनाओं के लिए 40-दिवसीय औसत की तुलना में फंड को पोर्टफोलियो का 50 प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए 31 दिन की आवश्यकता होगी। फरवरी के आखिर तक फंड पोर्टफोलियो में स्मॉलकैप शेयरों का हिस्सा 67 फीसदी था जबकि मिडकैप आवंटन 14 प्रतिशत और लार्जकैप निवेश 12 फीसदी था। फरवरी के अंत में स्कीम की नकदी होल्डिंग 18 फीसदी थी और इससे उसके पास कम भाव पर शेयर खरीदने का मौका है। स्कीम ने 233 कंपनियों में निवेश किया है जो इस श्रेणी में सर्वाधिक हो सकता है। शीर्ष-10 शेयरों का इसके पोर्टफोलियो में महज 14 फीसदी योगदान है। पोर्टफोलियो में शीर्ष तीन क्षेत्रों – इंडस्ट्रियल, मैटेरियल और फाइनैंशियल का आधे से ज्यादा हिस्सा है। एचडीएफसी बैंक, एमसीएक्स, किर्लोस्कर ब्रदर्स, डिक्सन टेक और करूर वैश्य बैंक फरवरी 2025 तक इसके पोर्टफोलियो में शीर्ष पांच शेयर थे।
इस श्रेणी में यह स्कीम सबसे बड़ी है और लगातार बेंचमार्क को मात देने में कामयाब रही है। मई 2007 से इसका प्रबंधन चिराग सीतलवाड़ कर रहे हैं। 28 फरवरी तक इस स्कीम में 66 प्रतिशत मिडकैप शेयरों का निवेश था। पोर्टफोलियो का 21 प्रतिशत हिस्सा स्मॉलकैप और 5 प्रतिशत लार्जकैप से जुड़ा था। नकद होल्डिंग 7.5 प्रतिशत थी।नए स्ट्रेस टेस्ट में फंड को अपने पोर्टफोलियो का आधा हिस्सा बेचने के लिए 45 दिन और अपनी 25 प्रतिशत परिसंपत्तियों को बेचने के लिए 23 दिन का समय लगेगा जो इस श्रेणी में सबसे अधिक है।स्कीम ने फरवरी के आखिर तक 78 कंपनियों में निवेश कर रखा था और उसके पोर्टफोलियो में शीर्ष-10 शेयरों का 31 फीसदी योगदान है। फाइनैंशियल, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और टेक्नोलॉजी 54 प्रतिशत के संयुक्त निवेश आवंटन के साथ शीर्ष तीन क्षेत्र थे। फरवरी के अंत तक मैक्स फाइनैंशियल, इंडियन होटल्स, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज, फेडरल बैंक और कोफोर्ज इस फंड की शीर्ष पांच होल्डिंग्स थीं।
यह स्कीम अपनी श्रेणी में तीसरी सबसे बड़ी है और इसका प्रबंधन वर्ष 2023 के शुरू से रूपेश पटेलकर रहे हैं। इससे पहले इसका प्रबंधन मनीष गुनवानी, ध्रुमिल शाह और तेजस शेठ ने किया था। फरवरी तक, इस स्कीम का 66 फीसदी निवेश मिडकैप से जुड़ा था। शेष में, 20 प्रतिशत निवेश लार्जकैप शेयरों और 13 प्रतिशत स्मॉलकैप कंपनियों में था। नए स्ट्रेस टेस्ट से ऊंचे लिक्विड पोर्टफोलियो का संकेत मिलता है। स्कीम को आधा पोर्टफोलियो बेचने के लिए 10 दिन लगेंगे और अपनी एक-चौथाई होल्डिंग बेचने में 5 दिन का समय लगेगा, जो इस श्रेणी में सर्वाधिक है।
इस स्कीम के पोर्टफोलियो में 94 शेयर थे और इसकी परिसंपत्तियों में शीर्ष 10 शेयरों का योगदान 25 प्रतिशत था। तीन प्रमुख क्षेत्रों- फाइनैंशियल, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और इंडस्ट्रियल का पोर्टफोलियो में46 प्रतिशत योगदान है। शीर्ष 5 में हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी अन्य क्षेत्र शामिल हैं।पोर्टफोलियो में शीर्ष पांच शेयरों में परसिस्टेंट सिस्टम्स, बीएसई, चोलामंडलम फाइनैंशियल, फोर्टिस हेल्थकेयर और वोल्टास की संयुक्त हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है।
मई 2008 में शुरू हुई इस योजना ने आरंभ से ही करीब 15 प्रतिशत सालाना का रिटर्न दिया है। श्रेणी में सबसे बड़ी इस योजना का सह-प्रबंधन अनीश तवाकले और वैभव दुसाद कर रहे हैं। वैल्यू सिर्च शेयर वर्गीकरण के अनुसार फंड का 81 प्रतिशत निवेश दिग्गज शेयरों (कुल बाजार पूंजीकरण में शीर्ष 50 प्रतिशत का योगदान देने वाले शेयर) में है। 28 फरवरी तक इस स्कीम में नकदी होल्डिंग करीब 4 फीसदी पर थी। पोर्टफोलियो में 67 प्रतिशत शेयर हैं और 10 प्रमुख शेयरों का इसमें 54 प्रतिशत योगदान है। पोर्टफोलियो का पीबी अनुपात 3.21 था जबकि पीई अनुपात 20.5 है जो निफ्टी-50 मूल्यांकन के अनुरूप है। शीर्ष तीन क्षेत्रों – फाइनैंशियल, टेक्नोलॉजी और एनर्जी और यूटीलिटीज का पूरे पोर्टफोलियो में 50 प्रतिशत से ज्यादा योगदान है। इसके पोर्टफोलियो में वित्तीय शेयरों का 30 प्रतिशत योगदान है जो निफ्टी-50 में सेक्टर के 35 प्रतिशत भारांक से कम है। स्कीम में शीर्ष पांच शेयरों- एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, लार्सन एंड टुब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज और भारती एयरटेल का इसके पोर्टफोलियो में 33.6 प्रतिशत योगदान है।
यह स्कीम इस कैटेगरी की सबसे पुरानी स्कीमों में से एक है और इसका प्रबंधन अभिषेक सिंह वर्ष 2022 से कर रहे हैं। फरवरी तक, इस स्कीम का 80 प्रतिशत निवेश लार्ज कैप शेयरों में, 5 प्रतिशत मिडकैप में और 6 प्रतिशत स्मॉलकैप में था। बाकी 9 प्रतिशत थी। फंड के पोर्टफोलियो में 33 शेयर हैं। शीर्ष 10 शेयरों का इसके पोर्टफोलियो में 56 फीसदी योगदान है। इसका वित्तीय क्षेत्र में 45 प्रतिशत निवेश था जो निफ्टी 50 इंडेक्स में क्षेत्र के भारांक से कहीं अधिक है। ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट, हेल्थकेयर और टेक्नोलॉजी का इसके पोर्टफोलियो में 26.7 प्रतिशत हिस्सा है। शीर्ष पांच शेयरों में एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, बजाज फाइनैंस और ऐक्सिस बैंक का इसके पोर्टफोलियो में संयुक्त रूप से 34.5 फीसदी योगदान है। पोर्टफोलियो का पीबी अनुपात 2.74 था जबकि पीई अनुपात 16.72 था। ये दोनों अनुपात निफ्टी-50 के मौजूदा ट्रेलिंग मूल्यांकन से काफी नीचे हैं। फंड ने तीन वर्ष के एसआईपी निवेश पर 19.4 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है।
इहाब दलवई द्वारा प्रबंधित यह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की यह स्कीम 12 वर्षों से अधिक समय से चल रही है। इसने 10 साल की अवधि में 15.5 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न दिया है। फरवरी तक इसके पोर्टफोलियो में 86 शेयर थे जिनमें से शीर्ष 10 का भारांक 35 प्रतिशत था। शीर्ष तीन क्षेत्रों – फाइनैंशियल, ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट और उपभोक्ता सेवाओं का संयुक्त भारांक 48 फीसदी था। स्कीम में 28 फरवरी तक कैश होल्डिंग करीब 5 प्रतिशत थी। वैल्यू रिसर्च के अनुसार पोर्टफोलियो का 44 फीसदी हिस्सा दिग्गज शेयरों से जुड़ा हुआ है। 18 प्रतिशत लार्जकैप और 35 प्रतिशत मिडकैप के हैं। पोर्टफोलियो का औसत बाजार पूंजीकरण 1.2 लाख करोड़ रुपये है। पोर्टफोलियो का पीबी अनुपात 3.31 था जबकि पीईअनुपात 23.53 था जो निफ्टी-50 के मौजूदा मूल्यांकन से अधिक है। पिछले तीन साल के एसआईपी निवेश ने 21.85 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है।
यह स्कीम 32 साल के शानदार रिकॉर्ड के साथ भारत में सबसे पुरानी योजनाओं में से एक है। सौरभ पंत 2016 से ही इसके फंड प्रबंधक हैं। फरवरी तक इस स्कीम का 40 प्रतिशत आवंटन लार्ज कैप शेयरों में, 36 प्रतिशत मिडकैप में और 17 प्रतिशत स्मॉलकैप में था। नकद होल्डिंग 4 प्रतिशत थी। स्कीम के पोर्टफोलियो में 77 शेयर हैं और शीर्ष 10 शेयरों का 35 प्रतिशत भारांक है। पोर्टफोलियो का पीबी अनुपात 3.49 था जबकि पीई अनुपात 23.35 था। ये दोनों अनुपात निफ्टी-50 मूल्यांकन के मुकाबले अधिक हैं। फाइनैंशियल, बेसिक मैटेरियल और हेल्थकेयर का इस स्कीम के पोर्टफोलियो में 46 फीसदी भारांक है। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी शामिल हैं। 10 वर्ष की अवधि में इस स्कीम ने 13.9 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है जबकि बीएसई लार्ज मिड कैप टीआरआई सूचकांक में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जुलाई 2022 से रोशी जैन द्वारा प्रबंधित इस स्कीम ने 10 साल की अवधि में 15 प्रतिशत से अधिक वार्षिक रिटर्न दिया है। फरवरी तक, इसके पोर्टफोलियो में 56 शेयर थे जिनमें से शीर्ष 10 शेयरों का इसकी कुल परिसंपत्तियों में 55 प्रतिशत योगदान था। इस योजना का शुद्ध इक्विटी एक्सपोजर 88.4 प्रतिशत था। शेष पोर्टफोलियो में नकद होल्डिंग्स, रीट्स और इनविट्स तथा डेट होल्डिंग्स शामिल हैं। वैल्यू रिसर्च के वर्गीकरण के अनुसार 72 प्रतिशत निवेश दिग्गज शेयरों में किया गया है। लार्ज और मिडकैप शेयरों में निवेश आवंटन क्रमशः 15 प्रतिशत और 9 प्रतिशत है। एसआईपी निवेश ने पिछले तीन साल में 23.34 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है। पोर्टफोलियो का पीबी अनुपात 3.14 जबकि पीई अनुपात 21.48 था जो निफ्टी-50 सूचकांक के मौजूदा मूल्यांकन के अनुरूप है। तीन प्रमुख क्षेत्रों – फाइनैंशियल, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी और टेक्नोलॉजी का इसके पोर्टफोलियो में 58 प्रतिशत भारांक है। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में हेल्थकेयर और मैटेरियल शामिल हैं।
भारत में सबसे बड़ा शुद्ध-इक्विटी फंड वर्ष 2013 में पेश होने के बाद से ही राजीव ठक्कर संभाल रहे हैं। रुकुन ताराचंदानी, राज मेहता और मानसी करिया वर्तमान में सह-फंड प्रबंधक हैं। रौनक ओंकार अंतरराष्ट्रीय इक्विटी के लिए फंड मैनेजर हैं। यह स्कीम रणनीति के मामले में सबसे अलग रही है। इसमें कोष का एक बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में निवेश किया जाता है। यह उन कुछ योजनाओं में से एक है जो कैश कॉल लेने के लिए तैयार हैं। स्कीम का इक्विटी आवंटन फरवरी में 77 फीसदी पर था। 22 फीसदी से अधिक हिस्सा नकदी से जुड़ा था जो इस श्रेणी में सर्वाधिक में शामिल है। फंड के पोर्टफोलियो में 70 शेयर हैं और शीर्ष 10 शेयरों का 51 प्रतिशत भारांक है। वैल्यू रिसर्च से पता चलता है कि फंड का बड़े शेयरों के अलावा अन्य में बहुत कम निवेश था। पोर्टफोलियो का 94 प्रतिशत हिस्सा सूचीबद्ध बाजार पूंजीकरण के शीर्ष 70 प्रतिशत शेयरों से जुड़ा था।