म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेशक अब अपने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) निवेश को पांच साल पहले की तुलना में ज्यादा लंबी अवधि के लिए रख रहे हैं। एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि मार्च 2025 तक रेग्युलर प्लान की एसआईपी परिसंपत्तियों का 33 प्रतिशत और डायरेक्ट प्लान एसआईपी का 19 प्रतिशत उन खातों से जुड़ा है जो 5 साल से ज्यादा पुराने हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी तुलना में पांच साल पहले ऐसे पुराने खातों से जुड़े एसआईपी की एयूएम का अनुपात रेग्युलर प्लान के मामले में केवल 12 प्रतिशत और डायरेक्ट प्लान के लिए 4 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह रुझान बताता है कि निवेशक अनुशासित हो रहे, दीर्घावधि निवेश अपना रहे, ज्यादा धैर्य रख रहे हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव के आधार पर जल्दबाजी में निर्णय नहीं ले रहे हैं। जैसे-जैसे फंड उद्योग विकसित हो रहा है, यह रुझान जारी रहने की संभावना है जिसमें निवेशक अल्पावधि लाभ पर दीर्घावधि रिटर्न को प्राथमिकता दे रहे हैं।’
एसआईपी निवेश की अवधि का रुझान शीर्ष 30 शहरों (टी-30) और देश के बाकी हिस्सों (बी-30) के लिए एक जैसा है। 5 साल से अधिक पुराने टी-30 खातों से जुड़ी एसआईपी की एयूएम अब 11 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई। इसी तरह, बी-30 के मामले में यह 11 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत हो गई। कुल मिलाकर, एसआईपी खातों में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि देखी गई है। मार्च 2025 तक योगदान करने वाले एसआईपी खातों की संख्या 8.11 करोड़ थी जबकि अप्रैल 2024 में यह 6.38 करोड़ थी।