इस साल 68 लाख करोड़ रुपये के म्युचुअल फंड उद्योग में कई नई एफएम कंपनियां दस्तक देने की तैयारी कर रही हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में पिछले कुछ महीनों में कई आंशिक और निर्णायक मंजूरियां दी हैं। मौजूदा समय में कम से कम 6 आवेदक ऐसे हैं जिनके पास लाइसेंस है या जिन्हें सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है।
ऐंजल वन और यूनिफी कैपिटल ने लाइसेंस प्राप्त कर लिया है, जबकि चार आवेदकों – जियो ब्लैकरॉक, कैपिटलमाइंड, चॉइस इंटरनैशनल और कॉस्मिया फाइनैंशियल होल्डिंग्स को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। सेबी से सैद्धांतिक मंजूरी एमएफ व्यवसाय शुरू करने के लिए नियामक की ओर से हरी झंडी मानी जाती है। सेबी छह महीने के बाद प्रगति का निरीक्षण करता है। यदि आवेदक सभी मानदंडों को पूरा करता है तो उसे लाइसेंस जारी किया जाता है।
यदि सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त कर चुके सभी चारों आवेदक इस साल अपना पहला फंड पेश करने में कामयाब रहते हैं तो 2025 फंड हाउसों की रिकॉर्ड संख्या (6) के प्रवेश वाला वर्ष होगा। 2023 में पांच नए नाम एमएफ उद्योग में शामिल हुए थे। म्युचुअल फंड उद्योग में निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी की वजह से हाल के वर्षों में कई नई कंपनियों के प्रवेश को बढ़ावा मिला है। नई कंपनियों में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा कंपनियां, वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां, वित्तीय सेवा वितरण कंपनियां और अन्य वित्तीय सेवा फर्में शामिल हैं।
सैद्धांतिक मंजूरी ले चुकीं कुछ कंपनियां 6 महीने की तैयारी के चरण में लगभग आधे रास्ते में हैं। सबसे प्रतीक्षित फंड हाउसों में से एक, जियो ब्लैकरॉक ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी ने हाल में जॉर्ज हेबर जोसेफ को अपना मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) नियुक्त किया है। अनुभवी सीआईओ को नियुक्त करना एमएफ लाइसेंस हासिल करने के मानदंडों में से एक है।