देश की सबसे बड़ी लिस्टेड रिटेलर पेंटालून ने गुरुवार को अपने शेयरधारकों को हर दस शेयर पर एक बोनस शेयर देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
दिए जाने वाले ये नए शेयर बी क्लास शेयर कहलाएंगे और ये अलग तरह के यानी डिफरेंट वोटिंग और डिविडेंड राइट के साथ दिए जाएंगे। इन शेयरों में सामान्य शेयरों की तुलना में पांच फीसदी ज्यादा डिविडेंड मिलेगा। इसके अलावा इस तरह केदस शेयरों पर एक वोट का अधिकार भी मिलेगा।
पेंटालून भारत में इस तरह के वित्त्तीय प्रावधान देने वाली पहली कंपनियों में होगी। इस तरह के शेयर पहले कुछ वैश्विक कंपनियों जैसे बर्कशायर हैथवे, गूगल और न्यूज कॉर्प ने भी जारी किए हैं। कंपनी ने विज्ञप्ति में कहा कि रिकार्ड तिथि जरुरी अनुमति के बाद ही घोषित की जाएगी। इस घोषणा के तर्कों को साफ करते हुए पेंटालून के प्रबंध निदेशक किशोर बियाणी ने कहा कि डिफ्रेंशिंयल वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल इनोवेटिव इंस्ट्रूमेंट के रुप में वैश्विक बाजार में हो रहा है।
बोनस इश्यू को डीवीआर (डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स) के साथ मिलाकर कंपनी ने शेयरधारकों के लिए एक और विकल्प प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि डीवीआर से भिन्न-भिन्न शेयरधारकों की भिन्न-भिन्न जरुरतें पूरी होती हैं और हम लगातार तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में नए वित्त्तीय इंस्ट्रूमेंट ला रहे हैं। इस इश्यू के लिए एनम सिक्योरिटीज पेंटालून की सलाहकार होगी। कंपनी एक्ट के तहत जिस कंपनी का तीन सालों का बेहतर ट्रैक रिकार्ड रहा हो और उसके खाते में कोई भी डिफाल्ट जुड़ा न हुआ हो, वह रिटर्न में डीवीआर के साथ बोनस शेयर जारी कर सकती है।
इस इश्यू में शेयरधारकों की सहमति होनी अनिवार्य है और यह कुल शेयर कैपिटल के 25 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके अलावा परिवारिक कंपनियां अपने पारिवारिक लोगों को डीवीआर के साथ शेयर जारी कर सकती हैं। विश्लेषकों ने कहा कि डीवीआर के जरिए कम हिस्सेदारी वाले प्रमोटर भी अच्छा खासा वोटिंग अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
हालांकि भारतीय कंपनी कानून के कुछ प्रावधानों ने कंपनियों को डीवीआर जारी करने से रोका है। इस संबंध में एक मामला भी है जिसमें करमजीत जायसवाल और उनकी कंपनी एलपी जायसवाल एंड सन्स और उनके सौतेले भाई जगजीत और आनंद जायसवाल डीवीआर के इस्तेमाल को लेकर वर्ष 2004 में कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष पहुंचे थे।