अल्पावधि-मध्यावधि के डेट म्युचुअल फंडों (MF) का यील्ड-टु-मैच्युरिटी (YTM) RBI द्वारा ब्याज दर वृद्धि पर विराम लगाए जाने के बाद कमजोर पड़ना शुरू हो गया है। YTM आगामी प्रतिफल का संकेतक है, जो केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मई 2022 में अपना ब्याज दर वृद्धि चक्र शुरू किए जाने के बाद से लगभग सभी श्रेणियों में ऊपर बना हुआ था।
फंड प्रबंधकों का कहना है कि शॉर्टर-टु-मीडियम यानी अल्पावधि से मध्यावधि की योजनाओं का YTM कई योजनाओं में मार्च में नीचे आने लगा और अप्रैल में इसमें और ज्यादा कमजोरी आई है। इस बीच, लंबी अवधि की योजनाओं का YTM पिछले साल चरम पर पहुंच गया था और तब से यह सीमित दायरे में बना हुआ है। YTM सालाना प्रतिफल है जो कोई योजना तब प्रदान करती है जब उसमें निवेश परिपक्वता की पूरी अवधि तक बरकरार रखा जाता है।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के फंड प्रबंधक विवेक शर्मा ने कहा, ‘नए वित्त वर्ष में आपूर्ति घटने की वजह से अप्रैल में प्रतिफल मार्च के ऊंचे स्तर से करीब 20-40 आधार अंक तक नीचे आया है। पिछले एक साल में 250 आधार अंक की कुल दर वृद्धि किए जाने के बाद और मुद्रास्फीति में नरमी आने की उम्मीद के साथ मौद्रिक नीति समिति द्वारा रीपो दर वृद्धि पर लगाम लगाने का निर्णय लिया गया है।’
कोटक इन्वेस्टमेंट एडवायजर्स की मुख्य कार्याधिकारी (इन्वेस्टमेंट ऐंड स्ट्रैटजी) लक्ष्मी अय्यर के अनुसार, अप्रैल में प्रतिफल गिरावट की एक मुख्य वजह MF द्वारा कोष का भारी इस्तेमाल था। अब इस निवेश में कमी आने से उन्हें प्रतिफल फिर से कुछ बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा, ‘अप्रैल में, सरकारी सिक्योरिटी के प्रमुख खरीदार मुख्य तौर पर म्युचुअल फंड और विदेशी बैंक रहे हैं। इसकी वजह से पिछले महीने डेट म्युचुअल फंडों में भारी पूंजी प्रवाह दर्ज किया गया। पूंजी प्रवाह की मौजूदा रफ्तार बरकरार रहने की संभावना नहीं दिख रही है और इसलिए प्रतिफल अब कुछ चढ़ सकता है।’
निवेशकों द्वारा अप्रैल में इंडेक्सेशन लाभ समाप्त होने से पहले डेट योजनाओं पर ज्यादा जोर दिए जाने के बीच म्युचुअल फंडों ने टार्गेट मैच्युरिटी फंडों (टीएमएफ) और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड जैसी ऐक्टिव डेट योजनाओं में करीब 40,000 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह प्राप्त किया। कुल मिलाकर, विश्लेषकों को ब्याज दरें नहीं बढ़ने की उम्मीद के साथ प्रतिफल और वाईटीएम सीमित दायरे में रहने का अनुमान है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी में उप सीआईओ (फिक्स्ड इनकम) मनीष बंथिया ने कहा, ‘एमपीसी की बैठक में दर वृद्धि पर आशंकाएं दूर कर दी हैं और बाजार में नई उम्मीद पैदा हुई है तथा प्रतिफल में नरमी आने की गुंजाइश बढ़ी है। हमारा मानना है कि एमपीसी बैठक के बाद हम लंबे समय तक दर वृद्धि पर रोक की अवधि में हैं। हमारे आकलन के अनुसार, अल्पावधि की दरें सीमित दायरे में बनी रह सकती हैं।’ कुछ विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि अन्य ब्याज दर वृद्धि की आशंका से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता।