बढ़ती प्रतिस्पर्धा के इस दौर में म्युचुअल फंड निरंतर नये-नये तरीके तरीके अपना रहे हैं ताकि उनकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति में इजाफा हो सके।
इसके लिए फंड हाउस पुरानी नीति अपना रहे हैं जिसके तहत अपने अच्छे प्रदर्शन करने वाले फंडों को ग्राहक ढूंढने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। नित्य नये प्रकार के फंड लॉन्च कर कंपनियां मौसमी आकर्षण को कायम रखने की जुगत करती हैं।
हालांकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि ऐसे फंड नीति और शेयरों के विकल्प के रुप में खास पेशकश नहीं करते हैं। हाल में ऐसा ही एक फंड लॉन्च किया गया था-डायनामिक फंड। इन योजनाओं के निवेश का उद्देश्य इक्विटी में कोष को आवंटित कर दीर्घावधि में पूंजी में वूध्दि उपलब्ध कराना है। इन फंडों के तहत संपूर्ण रुप से कोष को इक्विटी से ऋण उपकरणों में निवेशित करने का लचीलापन भी प्रस्तावित है, अगर बाजार के संदर्भ में नकारात्मक धारणाएं नजर आती हैं।
इन फंडों की आलोचना किए जाने के कई कारण हैं। प्रमुख कारण यह है कि ये फंड शेयर बाजार में निवेश के मूलभूत सिध्दांतों के विरुध्द चल कर लक्ष्य प्राप्ति की कोशिश करते हैं। और वह है बाजार के सही समय का निर्धारण।
इसके अतिरिक्त वर्तमान बाजार परिस्थितियों के अनुसार चलने के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव की जरुरत होती है, इसमें अतिरिक्त लागत आती है और इस प्रकार निवेशक को मिलने वाले लाभों में कमी आती है। वर्तमान में ऐसे तीन फंड हैं जो इस उद्देश्य पाने की दिशा में प्रयासरत हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल डायनामिक फंड (सबसे पुराना फंड)
आईएनजी डायनामिक एसेट अलोकेशन फंड
एचएसबीसी डायनामिक फंड (एचडीएफ)
तुलनात्मक प्रदर्शन वाली तालिका देखने से साफ पता चलता है कि इन फंडों का प्रदर्शन अपेक्षानुसार नहीं रहा है। उदाहरण के लिए, आईएनजी डायनामिक फंड का प्रदर्शन एक वर्ष की अवधि में यबये बुरा रहा है। फंड के छोटे, 58 करोड़ रुपये, के कोष के बावजूद इस प्रकार का प्रदर्शन रहा।
30 अप्रैल 2008 को इसके पोर्टफोलियो में 33 शेयर शामिल थे। लेकिन इक्विटी में कुल निवेश केवल 16.86 प्रतिशत का था। ऋण तत्वों की अधिकता थी और यह लगभग 51.54 प्रतिशत था। नकदी में 31 प्रतिशत आवंटित था।
आईसीआईसीआई डायनामिक, जो बेहतर प्रदर्शन करने वाला रहा है, (अच्छे समय में निवेश करने की नीति के कारण नहीं, बल्कि बाजार की तेजी के दिनों में निवेश बनाएण् रखने के कारण) का प्रदर्शन पिछले कई तिमाहियों से पिछड़ता रहा है। वास्तव में इसका प्रदर्शन पिछले एक साल से गिरता आया है जबकि इसके कोष के 87-91 प्रतिशत तक का निवेश इक्विटी में किया गया है।
फंड प्रबंधक के शेयरों और श्रेणियों का चयन उतना प्रेरणादायी नहीं रहा है खास तौर से पिछले एक वर्ष में। अभी भी यह देखा जाना है कि यह योजना इक्विटी से ऋण में कोष के स्थानांतरण के प्रस्तावित डायनामिक नीति को अमल में कब लाता है। एचएसबीसी डायनामिक फंड बहुत कम समय से अस्तित्व में है। लेकिन बराबरी के फंडों की तुलना में ऐसा लगता है कि यह भी उसी राह पर बढ़ा जा रहा है अगर यह आक्रामक रुप से बाजार के सही समय के निर्धारण की कोशिश करता है।
अगस्त 2007 में एचएसबीसी डायनामिक फंड के लॉन्च के दौरान नोट में कुछ इस प्रकार कहा गया था, ‘अभी के स्तर पर एचएसबीसी डायनामिक फंड निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। एचडीएफ प्रत्यक्ष रुप से इक्विटी, ऋण और मुद्रा बाजार के उपकरणों, प्रत्येक में 100 प्रतिशत तक स्विच कर सकता है। इस गुण के कारण यह फंड परिशुध्द प्रतिफल के मामले में कम अस्थिर बन जाता है और पिछले कुछ सप्ताह की बाजार परिस्थितियों को देखते हुए यह फंड एक अच्छा विकल्प है।’
यह स्पष्ट है कि नये निवेशकों को डायनामिक फंड की धारणा पसंद आ सकती है। खास तौर से जब बाजार अस्थिरता की दौर से गुजर रहा होता है। आम तौर पर लोगों को यह भरोसा होता है कि सही समय पर सही स्थान सुनिश्चित करने के लिए आक्रामक बदलाव किए जाएंगे (जिससे लागत बढ़ जाती है)।
लेकिन अक्सर ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करना पूर्णत: असंभव लगता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निरंतर बाजार के सही समय का सफल निर्धारण निवेशक और फंउ प्रबंधक दोनों के लिए एक कल्पित चिंतन लगती है।
लेखक माई फाइनैंशियल एडवाइजर के निदेशक हैं।