घरेलू इक्विटी बेंचमार्क में मंगलवार को एक महीने में सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट आई। इसकी वजह मुनाफावसूली और इस बात को लेकर चिंता थी कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक टैरिफ को लेकर बनी सहमति के बाद अपने निवेश का रुख चीन और अमेरिका की ओर कर सकते हैं।
यह तेज गिरावट चार साल में सूचकांकों की सबसे बड़ी एकदिवसीय बढ़त के अगले ही दिन बाद आई। सेंसेक्स 1,282 अंक यानी 1.5 फीसदी की गिरावट के साथ 81,148 पर बंद हुआ। निफ्टी 346 अंक यानी 1.4 फीसदी की फिसलन के साथ 24,578 पर टिका। यह 7 अप्रैल के बाद से दोनों सूचकांकों का सबसे खराब प्रदर्शन था।
जहां लार्ज कैप में गिरावट आई, वहीं दूसरे सूचकांकों ने मजबूती दिखाई। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.2 फीसदी की मामूली बढ़त हुई तो निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.8 फीसदी का इजाफा हुआ। कुल मिलाकर, बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों के बाजार पूंजीकरण में 1.5 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई और एमकैप 431 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। पिछले सत्र में यह 16 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ा था।
सोमवार को अमेरिका और चीन ने 90 दिन के लिए जवाबी व्यापार शुल्कों में कटौती करने पर सहमति जताई। अमेरिका अब चीन से आयात पर शुल्क को 145 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी करेगा जबकि चीन अमेरिकी वस्तुओं पर अपने शुल्क को 125 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर देगा।
विश्लेषकों को डर है कि व्यापार तनाव कम होने से एफपीआई का निवेश भारत से जा सकता है। अप्रैल में वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं के बीच भारत एक सुरक्षित बाजार के रूप में उभरा था और विदेशी निवेश आकर्षित हुआ था।
सीएलएसए के विकास कुमार जैन की अगुआई में विश्लेषकों ने मंगलवार को कहा, ऐसा लगता है कि भारतीय बाजार ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर अपनी आशंकाओं को खत्म कर दिया है। लेकिन चीन-अमेरिका व्यापार समझौते से भारत का तुलनात्मक आकर्षण घट सकता है।
सीएलएसए के विश्लेषकों ने कहा, मार्च से वैश्विक व्यापार में व्यवधान की बढ़ती आशंकाओं ने भारत को विदेशी निवेशकों को सुकून दिया है। लेकिन घटती आशंकाओं के कारण एफआईआई चीन का रुख कर सकते हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, व्यापार युद्ध के तनाव में कमी और भारत-पाक भू-राजनीतिक तनाव समेत वैश्विक और घरेलू जोखिमों में नरमी से थोड़ी राहत मिलती दिख रही है। इसका असर मुख्य रूप से लार्जकैप शेयरों पर पड़ रहा है जबकि मिड और स्मॉलकैप सेगमेंट में तेजी जारी है।
आगे चलकर, आय सीजन की बाकी अवधि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का निवेश, स्थिर मॉनसून तथा अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते बाजार की तेजी को और रफ्तार देंगे।
बर्नस्टीन ने एक नोट में कहा, चौथी तिमाही की आय में एक उल्लेखनीय विशेषता जो हम अब तक देख रहे हैं, वह असाधारण आय नहीं है। वास्तव में, हम व्यापक स्तर पर मामूली मंदी देख रहे हैं। पिछले साल सितंबर से लगातार डाउनग्रेड के परिणामस्वरूप सबसे खराब आय अनुमानों से हम सफलतापूर्वक बच गए हैं। हर क्षेत्र ने कटौती और सुदृढ़ता का मेलजोल देखा है।
नोट में कहा गया है कि बाजार अच्छी स्थिति में हैं। लेकिन अस्थिरता बनी रहेगी और निफ्टी में एकतरफा वृद्धि की संभावना नहीं है।
बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत था और 2,559 शेयर चढ़े जबकि 1,402 में गिरावट आई। 1.76 फीसदी टूटने वाले एचडीएफसी बैंक ने गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान किया। इसके बाद इन्फोसिस का स्थान रहा।