facebookmetapixel
सोना ₹1541 फिसला, चांदी के वायदा में भी कमजोर शुरुआत; MCX पर चेक करें भावBusiness Standard BFSI समिट 2025- दूसरा दिन (हॉल-2)भारत का सबसे बड़ा BFSI Event – 2025 | दूसरा दिन: किसने क्या कहा, यहां देखिए6 साल बाद ट्रंप और शी जिनपिंग की मुलाकात, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- ‘वे एक महान नेता हैं’परमाणु दौड़ में फिर उतरा अमेरिका! 33 साल बाद टेस्ट का आदेश, ट्रंप बोले – हमें करना ही पड़ाStock Market today: गिरावट के साथ खुला बाजार; सेंसेक्स 84,750 पर, निफ्टी भी फिसलाStocks to Watch today: कोल इंडिया, विप्रो, एलएंडटी समेत ये 10 बड़े स्टॉक रहेंगे फोकस मेंLIC ने टाटा कंज्यूमर और डाबर में बढ़ाई हिस्सेदारी – जानिए क्या है वजहBFSI Summit: भारत का वित्तीय क्षेत्र सबसे मजबूत स्थिति में, सरकार और आरबीआई ने दी जिम्मेदार वृद्धि की नसीहत2025 बनेगा भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष, BFSI समिट में बोले विदेशी बैंकर

बाजार में उतार-चढ़ाव जारी: आईटी-फाइनैंस चमके, ऑटो-ऊर्जा दबाव में

निफ्टी फिर से जून के स्तरों पर लौट आया लेकिन इंडेक्स में शामिल शेयरों में आया बदलाव

Last Updated- February 26, 2025 | 11:24 PM IST
Market movement: There will not be much movement in the markets this week, municipal bonds have not been able to gain momentum बाजार हलचल: इस हफ्ते बाजारों में नहीं होगी बहुत घटबढ़, रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं म्युनिसिपल बॉन्ड

करीब 10 महीने के उतार-चढ़ाव भरे दौर के बाद बाजार फिर से जून की शुरुआत में देखे गए स्तरों पर आ गया है। 4 जून के बाद से सूचकांक के करीब दर्जन भर शेयरों में मोटे तौर पर बदलाव नहीं आया है, लेकिन पिछले आठ महीनों में बाकी शेयरों के भावों में खासा बदलाव देखा गया है।

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और वित्तीय क्षेत्र के शेयरों ने बाजार में आए तूफान का मुकाबला दूसरों से बेहतर तरीके से किया है। 4 जून के बाद से उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वालों में विप्रो शामिल है जिसने 33 फीसदी का इजाफा दर्ज किया जबकि डिवीज लैबोरेटरीज में 32 फीसदी और बजाज फाइनैंस में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

ऑटो और ऊर्जा क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ है। सबसे खराब प्रदर्शन करने वालों में हीरो मोटोकॉर्प (28 फीसदी की गिरावट), अदाणी एंटरप्राइजेज (28 फीसदी की गिरावट) और टाटा मोटर्स (27 फीसदी की गिरावट) शामिल हैं। 4 जून को आम चुनाव के नतीजों के दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुमत के 272 सीटों के आंकड़े के लिए जूझती रही। लिहाजा, निफ्टी-50 में 1,379 अंक यानी 6 फीसदी की गिरावट आई और वह 21,885 पर बंद हुआ था।

हालांकि, अगले पांच महीनों में सूचकांक 20 फीसदी बढ़कर 26 सितंबर को 26,216 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया क्योंकि भाजपा मजबूत गठबंधन बनाने में कामयाब रही। तब से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली और कंपनियों की आय वृद्धि में नरमी के कारण निफ्टी में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है।

पिछले सप्ताह बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में एचएसबीसी के इक्विटी रणनीति प्रमुख (एशिया-प्रशांत) हेराल्ड वैन डेर लिंडे ने कहा था कि भारत में मुख्य आकर्षण बहुत अधिक आय वृद्धि थी जो अब सवालों के घेरे में आ गई है। यह धारणा बढ़ रही है कि इस बाजार को कम गुणकों (मल्टीपल) की आवश्यकता है। इसी समय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि शुरू हो गई जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने उभरते बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इससे भारतीय इक्विटी में गिरावट और बढ़ गई।

उन्होंने कहा कि हमें वृद्धि की कहानियों या ऐसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो वर्तमान वृहद परिवेश से लाभान्वित हों। उन्होंने कहा कि एक सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र है जिसे कमजोर मुद्रा से लाभ मिलता है। हाल के आय सीजन ने अमेरिका में विकास के बेहतर दृष्टिकोण को दिखाया है। उपभोक्ता क्षेत्र के भीतर हम अधिक आकर्षक मूल्यांकन के कारण स्टेपल की तुलना में विवेकाधीन को प्राथमिकता देते हैं। कमजोर घरेलू मांग के बावजूद कुछ ऑटोमोटिव कंपनियां विदेशों में उच्च-विकास वाले क्षेत्रों को लक्षित कर रही हैं। अस्पताल एक और क्षेत्र है, जिसे हम उनकी दीर्घकालिक संरचनात्मक विकास कहानी के कारण पसंद करते हैं। हम निजी बैंकों को भी पसंद करते हैं, जहां मूल्यांकन आकर्षक हैं और बढ़ी हुई तरलता से वे लाभ उठा सकते हैं।

मोतीलाल ओसवाल की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि भले ही बाजार अपने उच्चतम स्तर से तेजी से नीचे आ गया है, लेकिन दो-तिहाई सेक्टर सूचकांक अभी भी अपने 10 साल के औसत पीई गुणकों से प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। सबसे अधिक प्रीमियम वाले क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, यूटिलिटीज और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शामिल हैं। इसके विपरीत, मीडिया, बैंक और ऑटो कंपनियां अपने ऐतिहासिक औसत से छूट पर कारोबार कर रही हैं।

इस बीच, कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज बड़े निजी बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), जीवन बीमा फर्मों, आवासीय रियल एस्टेट, होटलों और एयरलाइंस/हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों को तरजीह देता है। इसके विपरीत, ब्रोकरेज कंज्यूमर स्टेपल, विवेकाधीन शेयरों और तेल एवं गैस तथा रसायन क्षेत्रों को लेकर सतर्क है।

First Published - February 26, 2025 | 11:17 PM IST

संबंधित पोस्ट