मई 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले 7 नवंबर से पांच राज्यों- छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनावों से बाजार को कोई खास परेशानी नहीं होगी। विश्लेषकों ने यह राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि कम से कम मौजूदा परिदृश्य में चिंता की कोई बात नहीं दिख रही है।
उनका मानना है कि मतदाता राज्यों के विधानसभा चुनाव और आम चुनाव में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार केवल स्थिर सरकार चाहता है और वह चाहता है कि नीतियां लंबी अवधि तक जारी रहे।
मॉर्गन स्टैनली के मुख्य अर्थशास्त्री(एशिया) चेतन आहया के नेतृत्व में विश्लेषकों ने एक हालिया नोट में कहा है, ‘हम आम चुनावों के संकेतों के लिए विधानसभा चुनावों के नतीजों पर करीबी नजर रखेंगे।’
‘कुछ निवेशकों का तर्क यह है कि राज्य चुनावों को आम चुनावों से अलग देखा जाना चाहिए। अगर राज्यों के चुनाव नतीजों या विपक्षी गठबंधन के कदम से ऐसा लगता है कि विपक्षी गठबंधन रफ्तार पकड़ रहा है तो हमारा मानना है कि राजनीतिक एवं नीतिगत निरंतरता के मोर्चे पर बाजार की चिंताएं बढ़ जाएंगी।’
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के करीब 16 करोड़ मतदाता आगामी विधानसभा चुनावों के लिए इसी महीने मतदान करेंगे। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार ये चुनाव 7 नवंबर से शुरू होकर 30 नवंबर को संपन्न होंगे। इनमें मतगणना 3 दिसंबर को होगी।
जानकारों का मानना है कि इन नतीजों से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के बारे में मतदाताओं के रुझान का संकेत मिल सकता है। वे इन चुनावों को आम चुनाव से पहले सेमी फाइनल के तौर पर देख रहे हैं। इन चुनावों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत पकड़ वाले हिंदीभाषी क्षेत्र में मतदाताओं के रुझान का पता चल जाएगा।
साल 2019 के चुनाव में भाजपा ने 10 हिंदीभाषी राज्यों की कुल 225 सीटों में से 177 यानी 79 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज की थी। इन पांच राज्यों का लोकसभा और राज्यसभा की कुल सीटों में करीब 15 फीसदी योगदान है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं अनुसंधान प्रमुख जी चोकालिंगम ने कहा कि बाजार को पांच राज्यों के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के लिए कोई बड़ा झटका नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि बाजार फिलहाल ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
चोकालिंगम ने कहा कि अगर 3 दिसंबर को नतीजे अचंभित करने वाले होंगे तो बाजार में 2 से 3 फीसदी की गिरावट दिख सकती है। साथ ही बाजार उसे अगले साल मई 2024 में होने वाले आम चुनावों के अनुमान से जोड़कर देखना शुरू कर देगा।
जहां तक पोर्टफोलियो की रणनीति का सवाल है तो चोकालिंगम 5 फीसदी नकदी में, 5 फीसदी गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में, 30 से 50 फीसदी लार्ज मिडकैप एवं सेंसेक्स/ निफ्टी शेयरों में और शेष को लघु अवधि के लिए अच्छे मूल्य वाले स्मॉल एवं मिडकैप शेयरों में निवेश करने की सलाह देते हैं।
चोकालिंगम ने कहा, ‘राज्यों के चुनाव और आम चुनाव में बहुत अधिक संबंध नहीं होता है क्योंकि दोनों में मतदाताओं के उद्देश्य बिल्कुल अलग होते हैं। मगर इस बार इन राज्यों के चुनावों को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इनका लोकसभा सीटों में अहम योगदान है। दूसरा, विधानसभा चुनावों और आम चुनाव के बीच समय का अंतर भी काफी है।
ऐसे में ये नतीजे कुछ हद तक राजनीतिक जोड़-तोड़ को प्रभावित कर सकते हैं। बाजार इसे आम चुनावों के संभावित नतीजों से जोड़कर देखेगा। इस लिहाज से इन चुनावों का असर बाजार पर दिख सकता है।’
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग से जुड़े लोगों का भी मानना है कि राज्यों के चुनावों में भाजपा की संभावित हार अल्पावधि में बाजार के लिए भावनात्मक रूप से नकारात्मक हो सकती है।
एंटीक के पंकज छाछरिया, धीरेंद्र तिवारी और अभिमन्यु गोदारा ने हालिया नोट में लिखा है, ‘बाजार में ताजा गिरावट, व्यापक तौर पर वृहद जोखिम, उम्मीदों के अनुरूप कंपनियों के नतीजे, उचित मूल्यांकन और कम राजनीतिक जोखिम (क्योंकि केंद्र में फिर भाजपा की सरकार बनने की संभावना है) के मद्देनजर निवेश के लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है।’