अगर आप करेंसी फ्यूचर सेगमेंट में डॉलर की मतवाली चाल से मुनाफा काटने की सोच रहे हैं तो थोड़ा इंतजार कीजिए।
मार्च में नए साल की पहली तिमाही समाप्त होने के बाद ही इसमें रिटर्न की गुंजाइश बन सकती है। खास तौर से रिटेल इन्वेस्टर बाजार से बाहर खड़े रहकर उतार-चढ़ाव पर बारीकी से नजर रखें और जब उतार-चढ़ाव कम हो तो इस बाजार में कूदें।
फिलहाल बैंक और निर्यातक आदि हेजिंग के उपकरण के रूप में ही फ्यूचर करेंसी का इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि आर्बिट्रेजर शॉर्ट टर्म में थोड़ा-बहुत मुनाफा बटोर रहे हैं।
एक ब्रोकर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस कारोबार में मार्जिन के बराबर ही रिटर्न मिल रहा है, लेकिन वॉल्यूम बढ़ने पर इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। करेंसी फ्यूचर कारोबार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि सारा दारोमदार डॉलर इंडेक्स पर है।
एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड के वाइस प्रेजिडेंट और रिसर्च हेड राजेश जैन का मानना है कि आने वाले छह महीने में डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत नजर आएगा। हालांकि जनवरी महीने में इसमें खासा उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।
फिलहाल एनएसई, एमसीएक्स-एसएक्स और बीएसई करेंसी फ्यूचर कारोबार के लिए प्लैटफॉर्म उपलब्ध करा रहा है। सूत्रों के मुताबिक 50 फीसदी से ज्यादा बाजार हिस्सेदारी के साथ एमसीएक्स-एसएक्स टॉप पर है।
क्या है डॉलर इंडेक्स : यह इंडेक्स चुनिंदा छह विदेशी मुद्राओं के बास्केट के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत को दर्शाता है। इन मुद्राओं में यूरो, जापानी येन, पौंड स्टर्लिंग, कनाडियन डॉलर, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक शामिल हैं। यह इंडेक्स अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सेहत की तस्वीर पेश करता है।
क्या करें रिटेल इन्वेस्टर : अगर वे करेंसी फ्यूचर कारोबार में हाथ आजमाना चाहते हैं तो बाजार पर बारीकी से नजर रखने के अलावा फिलहाल उनके पास कोई चारा नहीं है। दुनिया भर में छाई मंदी हर बाजार पर हावी है। ऐसे में रिटेल इन्वेस्टर शेयर बाजार की रफ्तार पर नजर रखे।
एसएमसी ग्लोबल के वाइस प्रेजिडेंट राजेश जैन को उम्मीद है कि मार्च के बाद जब बाजार की सेहत सुधरेगी तो फिर रिटेल इन्वेस्टर की भागीदारी 15-20 फीसदी तक पहुंच जाएगी। तब इसका वोल्यूम भी बढ़ेगा।
ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड के मैनेजर (सेल्स) अजय झा को उम्मीद है कि फरवरी-मार्च में एक डॉलर 43-44 रुपये पर उपलब्ध होगा।