NSE IPO: नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निवेशकों को इसके आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। एक्सचेंज के प्रबंधन ने कहा कि आईपीओ लाने की योजना पर उसके पास नियामक से कोई अद्यतन जानकारी नहीं है।
एनएसई के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी आशिष कुमार चौहान ने सोमवार कहा कि स्थिति पहले जैसी ही है। यह पूछने पर कि वोडाफोन आइडिया के एफपीओ की लिस्टिंग के दौरान कथित तकनीकी खामियों का आईपीओ मंजूरी की समयसीमा पर कोई असर पड़ेगा, चौहान ने कहा कि यह मामला इससे नहीं जुड़ा है।
उद्योग के प्रतिभागियों के अनुसार एनएसई के आईपीओ की मंजूरी के लिए अहम अनिवार्यताओं में से एक यह है कि एक्सचेंज में एक साल तक किसी तरह की कोई तकनीकी खामी न आए।
वोडा-आइडिया एफपीओ (Vodafone Idea FPO) की सूचीबद्धता के दिन एनएसई के सिस्टम में कथित तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ ट्रेड में नुकसान की शिकायत मिली थी।
एक्सचेंज ने कहा कि उसकी योजना अपने डेटा सेंटर को अगले साल नए क्षेत्र में ले जाने की है। इस बीच, वह को-लोकेशन सुविधा में उपलब्धता में रैक में इजाफा कर रहा है। एक्सचेंज नियामकीय दिशानिर्देशों के अनुपालना के तहत अपने कुछ गैर-प्रमुख कारोबार से बाहर निकल सकता है।
एक्सचेंज पहले ही शिक्षा और आईटी कारोबार से बाहर निकलने की घोषणा कर चुका है। ऑप्शन सेगमेंट के नोशनल वॉल्यूम पर नियामकीय शुल्क के तौर पर ज्यादा रकम चुकाने की चिंता पर एनएसई ने कहा कि वह पिछले पांच साल से उपरोक्त वर्णित वॉल्यूम पर शुल्क चुका रहा है और जुर्माने के तौर पर उसे कुछ नहीं चुकाना होगा।
बाजार नियामक सेबी ने पिछले महीने प्रतिस्पर्धी एक्सचेंज बीएसई को ऑप्शन सेगमेंट में प्रीमियम टर्नओवर के बजाय नोशनल टर्नओवर पर शुल्क चुकाने का निर्देश दिया था।
एनएसई (NSE) ने भी यह संकेत दिया कि सेबी के निर्देश पर उसे कोर सेटलमेंट गारंटी फंड (SGF) के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है।
बाजार नियामक सेबी ने मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूशंस को इस फंड में ज्यादा योगदान देने और इस फंड का आकार 10,000 करोड़ रुपये करने का निर्देश दिया है। डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयरों की संख्या बढ़ाने के मामले पर एनएसई ने कहा कि इस पर उसे नियामक से अद्यतन जानकारी का इंतजार है।