मैनकाइंड फार्मा के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) को पेश शेयरों के मुकाबले 15 गुना से ज्यादा बोली मिली। संस्थागत निवेशकों की तरफ से मजबूत मांग रही जबकि खुदरा श्रेणी में अभी तक खास रुझान देखने को नहीं मिला है।
IPO की संस्थागत श्रेणी में करीब 50 गुना आवेदन मिले जबकि धनाढ्य निवेशकों यानी HNI श्रेणी में 3.8 गुना बोली मिली। उधर, खुदरा निवेशकों की श्रेणी में महज 92 फीसदी आवेदन मिले।
एंकर निवेशकों की मांग को शामिल करते हुए 4,326 करोड़ रुपये के IPO (जो साल का सबसे बड़ा IPO है) को करीब 50,000 करोड़ रुपये की बोली मिली, जो प्राथमिक बाजारों में सुधार की उम्मीद जगाता है। बिक्री के लिहाज से देश की चौथी सबसे बड़ी दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा के IPO में एंकर निवेशकों ने करीब 1,300 करोड़ रुपये के शेयरों के लिए आवेदन किए हैं। कंपनी का IPO पूरी तरह से ओएफएस है, जहां प्रवर्तक, वैश्विक प्राइवेट इक्विटी फर्म केयर्नहिल व अन्य निवेशक अपने शेयर बेच रहे हैं।
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मैनकाइंड ने IPO का कीमत दायरा 1,026 से 1,080 रुपये प्रति शेयर तय किया था। कीमत दायरे के ऊपरी स्तर पर कंपनी का मूल्यांकन 43,264 करोड़ रुपये बैठता है, जो वित्त वर्ष 22 की आय का करीब 30 गुना है। यह मूल्यांकन अन्य सूचीबद्ध दवा कंपनियों की तरह ही है। कंपनी दवा फॉर्मुलेशन के विकास, विनिर्माण व विपणन से जुड़ी है, साथ ही उसके पास कई हेल्थकेयर उत्पाद भी हैं। कंपनी का ध्यान देसी बाजार पर है, इसके परिणामस्वरूप भारत के परिचालन राजस्व का वित्त वर्ष 21-22 के कुल राजस्व में 97.60 फीसदी योगदान रहा।