JSW Group की बंदरगाह कारोबार इकाई जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर (JSW Infrastructure) ने बाजार नियामक सेबी के पास विवरणिका का मसौदा (DRHP) जमा कराया है। कंपनी की योजना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिये 2,800 करोड़ रुपये जुटाने की है। इस तरह से यह आईपीओ लाने वाली समूह की तीसरी कंपनी बन जाएगी।
जेएसडब्ल्यू इन्फ्रा ने विवरणिका में कहा है, कंपनी आईपीओ से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने और देश भर में बुनियादी ढांचे से जुड़ी विस्तार परियोजनाओं के वित्त पोषण में करेगी। कंपनी के पास विभिन्न बंदरगाह पर अपने टर्मिनल में 15.3 करोड़ टन की स्थापित क्षमता है।
जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर को अभी भारत के नौ बंदरगाहों पर रियायत मिली हुई है। साथ ही संयुक्त अरब अमीरात में दो बंदरगाह परिचालन में है, जहां उसकी स्थापित क्षमता 4.1 करोड़ टन सालाना है।
वित्त वर्ष 23 में नौ महीने की अवधि में कंपनी का कर पश्चात लाभ 447.2 करोड़ रुपये रहा जबकि कर पश्चात लाभ मार्जिन 18.64 फीसदी रहा। वित्त वर्ष 20 के कोविड पूर्व स्तर से कंपनी का मुनाफा दोगुने से ज्यादा बढ़ा है।
वित्त वर्ष 23 में अहम बंदरगाहों ने कार्गो में 10.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और इस तरह से निजी बंदरगाहों के हाथों कार्गो की हिस्सेदारी तेज रफ्तार से गंवाने की पहले की प्रवृत्ति को पलट दिया। क्रिसिल का अनुमान है कि अगले पांच वित्त वर्षों में भारतीय बंदरगाहों की वृद्धि दर 3 से 6 फीसदी हो सकती है।
DRHP में क्रिसिल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है, वित्त वर्ष 2024 में बंदरगाह में ट्रैफिक की रफ्तार 3 से 6 फीसदी रहने का अनुमान है।
इसमें कहा गया है, हालांकि कोयले की रफ्तार में नरमी और लौह अयस्क का निर्यात में खास बदलाव न होने और पेट्रोलियम, तेल व लुब्रिकेंट्स की रफ्तार सुस्त रहने से लंबी अवधि में कार्गो ट्रैफिक नरम रहने का अनुमान है।
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अनुमान के मुताबिक, आगामी वित्त वर्षों में प्रमुख जिंसों में अच्छी बढ़त रहने की उम्मीद है। लौह अयस्क ट्रैफिक वित्त वर्ष 24 में 6 से 9 फीसदी बढ़ने की संभावना है। इसी तरह कंटेनर ट्रैफिक 3 से 6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। पर पेट्रोलियम, तेल व लुब्रिकेंट्स ट्रैफिक की रफ्तार 2 से 5 फीसदी रहने की संभावना है।
विवरणिका में कहा गया है, जलवायु परिवर्तन और अहम अर्थव्यवस्थाओं की जीवाश्म ईंधन से दूरी कंपनी के कारोबार में गिरावट का जोखिम पैदा कर सकता है।