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IPO लंबी अवधि की पूंजी नहीं जुटा रहे, सिर्फ शुरुआती निवेशकों का एग्जिट बन रहे: CEA नागेश्वरन

नागेश्वरन ने कहा कि महत्त्वाकांक्षा, जोखिम उठाने और दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता है, अन्यथा भारत रणनीतिक लचीलेपन में पीछे रह जाएगा

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- November 17, 2025 | 10:18 PM IST

भारत के शेयर बाजार का काफी विस्तार हुआ है मगर आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लंबी अवधि की पूंजी जुटाने के तंत्र के बजाय शुरुआती निवेशकों के लिए बाहर निकलने का रास्ता बनता जा रहा है। यह प्रवृ​त्ति सार्वजनिक बाजार की भावना को कमजोर करती है। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में आज यह बात कही।

नागेश्वरन ने आगाह किया कि बाजार पूंजीकरण अनुपात या डेरिवेटिव्स ट्रेड की मात्रा जैसे गलत कीर्तिमान का जश्न नहीं मनाया जाना चाहिए क्योंकि ये बेहतर वित्तीय उपाय नहीं हैं बल्कि इससे घरेलू बचत के उत्पादक निवेश से दूर होने का जोखिम रहता है।

नागेश्वरन ने कहा, ‘हम विकसित दुनिया से कुछ बेहतरीन कार्यप्रणालियों को अपनाते हुए परिष्कृत और सुदृढ़ पूंजी बाजार विकसित करने में सफल रहे हैं। लेकिन इसने अल्पावधि आय प्रबंधन दृष्टिकोण को बढ़ाने में भी आंशिक रूप से योगदान दिया होगा क्योंकि ये प्रबंधन पारितो​षिक और बाजार पूंजीकरण में वृद्धि से जुड़े होते हैं, जो शेयर और ऑप्शंस आदि के मूल्य को भी बढ़ाते हैं।

नागेश्वरन ने कहा कि महत्त्वाकांक्षा, जोखिम उठाने और दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता है, अन्यथा भारत रणनीतिक लचीलेपन में पीछे रह जाएगा।

वर्ष 2025 के शीर्ष 15 आईपीओ द्वारा जुटाई गई लगभग 94,000 करोड़ रुपये की राशि में से तीन-चौथाई (लगभग 68,700 करोड़ रुपये) सेकंडरी शेयर बिक्री से प्राप्त हुई है। इन 15 आईपीओ में से 5 पूरी तरह से प्रवर्तकों या निजी इक्विटी कंपनियों द्वारा की गई बिक्री है। शेष 10 में प्राइमरी और सेकंडरी दोनों तरह की बिक्री शामिल रही है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने कहा, ‘प्राइमरी और सेकंडरी घटकों का मिश्रण एक आईपीओ से दूसरे आईपीओ में भिन्न होता है। कई कंपनियां पहले ही प्रारंभिक चरण में प्राथमिक पूंजी जुटा चुकी होती हैं, यही वजह है कि मौजूदा निवेशक अक्सर आईपीओ के दौरान ही बाहर निकल जाना पसंद करते हैं। ऐसे भी उदाहरण हैं जहां कंपनियां नई परियोजनाओं के लिए नई पूंजी जुटाती हैं। मेरे विचार से पूंजी बाजार को ऐसे सभी उद्देश्यों को पूरा करना चाहिए।’

मुख्य आ​र्थिक सलाहकार नागेश्वरन ने कहा, ‘अगर भारत को अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना है तो धन जुटाने के प्राथमिक चालक देश के अंदर से आने चाहिए। बाहरी पूंजी हमारे प्रयासों का पूरक हो सकती है लेकिन रणनीतिक भार घरेलू संस्थानों पर होना चाहिए। अनिश्चितता को केवल घरेलू संस्थागत ताकत के द्वारा कम किया जा सकता है और हमारे वित्तीय क्षेत्र को स्थिरता के सबसे विश्वसनीय स्रोत के रूप में विकसित होना चाहिए।’

उन्होंने चेताया कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के उभार में आशंका यह है कि कही इसकी परिणति डॉट-कॉम बुलबुले की तरह न हो। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपने वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण में इसे लेकर चेतावनी दी है।

उन्होंने कहा, ‘ हमें आत्मसंतुष्टि के प्रति सचेत रहना चाहिए। भारत अपने वित्तीय क्षेत्र को वास्तविक अर्थव्यवस्था से दूर नहीं जाने दे सकता, न ही हम अन्यत्र उत्पन्न हुई कमजोरियों को अपने बाजारों तक फैलने दे सकते हैं। स्थिरता, लचीलापन और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ समरूपता हमारी वित्तीय प्रणाली का आधार होना चाहिए।’

नागेश्वरन ने यह भी चेतावनी दी कि अनिश्चितता और तकनीकी असंतुलन से परिभाषित युग में सामान्य व्यवसाय वित्तपोषण पर्याप्त नहीं होगा।

नागेश्वरन ने कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अधिक साहसी, तकनीकी रूप से अधिक कुशल तथा सोच-समझकर जोखिम उठाने के लिए अधिक इच्छुक बनना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले ऋण चक्रों ने घाव छोड़े हैं, जिसके कारण अल्पकालिक ऋण, भारी रेहन अंडरराइटिंग और नवप्रवर्तकों की तुलना में पुराने ऋणों को प्राथमिकता मिली है। यदि भारत को अगले दशक और उससे आगे के लिए उत्पादक क्षमता का निर्माण करना है तो हमारे वित्तीय संस्थानों को धैर्यपूर्वक, स्थिर पूंजी प्रदान करनी होगी जो उद्यमों को उनके संपूर्ण विकास पथ पर जरूरी ऋण आवश्यकताओं में सहायता प्रदान करे।

मुख्य आ​र्थिक सलाहकार ने कहा कि देश दीर्घकालिक वित्तपोषण के लिए मुख्य रूप से बैंक ऋण पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने दीर्घकालिक उद्देश्यों के वित्तपोषण के लिए गहन बॉन्ड बाजार को ‘रणनीतिक आवश्यकता’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘बीमा और पेंशन फंड को दीर्घकालिक निवेश में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। बॉन्ड बाजार की इमारत विश्वास और पारदर्शिता की नींव पर बनाई जाए जिसके लिए कॉरपोरेट नेतृत्व को टिकाऊ और प्रदर्शन के आधार पर प्रतिबद्ध होना चाहिए।

First Published : November 17, 2025 | 10:18 PM IST