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कंपनियां IPO का पैसा कैसे खर्च कर रही हैं? BOB स्टडी में सामने आई जानकारी

कंपनियां IPO से जुटाए पैसे का सबसे बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में लगा रही हैं, जबकि कैपेक्स और अन्य खर्चों में भी बड़ी राशि उपयोग हो रही है।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- December 02, 2025 | 12:17 PM IST

बैंक ऑफ बड़ौदा की एक नई स्टडी कहती है कि आजकल कंपनियां जब नया शेयर बेचकर पैसा जुटाती हैं, तो उसका सबसे बड़ा हिस्सा अपने पुराने कर्ज चुकाने में लगा देती हैं। यह रिपोर्ट अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच सेबी को भेजी गई 200 से ज्यादा कंपनियों की फाइलों को देखकर बनाई गई है। इनमें से 189 कंपनियों ने साफ-साफ बताया कि वे IPO से मिलने वाला पैसा किस काम में इस्तेमाल करेंगी। बाकी कंपनियों को स्टडी में नहीं रखा गया, क्योंकि या तो उनका पैसा कितना जुटेगा यह तय नहीं था, या उन्होंने ठीक से नहीं बताया कि पैसा कहां लगेगा।

कुल फंड जुटाने की योजना

स्टडी में शामिल 189 कंपनियों ने कहा है कि वे मिलकर लगभग 1.82 लाख करोड़ रुपये जुटाने वाली हैं। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये कंपनियां नए शेयर बेचकर जुटाएंगी, और 62,000 करोड़ रुपये पुराने शेयरधारक अपने शेयर बेचकर कमाएंगे।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि OFS यानी Offer for Sale से जो पैसा आता है, वह कंपनी को नहीं मिलता। यह पूरा पैसा उन पुराने लोगों के पास जाता है जो अपने शेयर बेच रहे होते हैं। इसलिए इस पैसे को कंपनी अपने काम, प्रोजेक्ट या बिजनेस में इस्तेमाल नहीं कर सकती।

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फंड का सबसे बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में

रिपोर्ट कहती है कि कंपनियां नए शेयर बेचकर जो 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटा रही हैं, उसमें से करीब 29% यानी 34,441 करोड़ रुपये सिर्फ अपने पुराने कर्ज चुकाने में लगाएंगी। बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनॉमिस्ट मदन सबनवीस बताते हैं कि कंपनियां ऐसा इसलिए कर रही हैं ताकि उनके ऊपर कर्ज का बोझ कम हो जाए। बाजार से पैसा उठाकर कर्ज चुकाने की इस प्रक्रिया को ही “डीलिवरेजिंग” कहा जाता है। इससे कंपनियों की स्थिति मजबूत होती है और उनकी बैलेंस शीट हल्की व स्थिर बनती है।

कैपेक्स और अन्य उपयोग

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियां जुटाए गए पैसे का लगभग एक-चौथाई हिस्सा अपने बिजनेस को बढ़ाने में खर्च करेंगी। इसमें मशीनें खरीदना, नए प्रोजेक्ट शुरू करना, टेक्नोलॉजी लाना और कंपनी की क्षमता बढ़ाना जैसे काम शामिल हैं। इससे देश में निवेश और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

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कुछ पैसा कंपनी के रोजमर्रा के खर्चों में भी लगाया जाएगा, जैसे काम चलाने के लिए जरूरी पूंजी, ब्रांडिंग और किराए/लीज से जुड़े भुगतान। हालांकि कई कंपनियों ने यह नहीं बताया कि उनका पूरा पैसा कहां खर्च होगा, इसलिए उसकी एक हिस्से को रिपोर्ट में “अनिर्दिष्ट” यानी कहां उपयोग होगा यह साफ नहीं के रूप में रखा गया है।

2026 में IPO में और तेजी का अनुमान

इक्विरस कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर भावेश शाह कहते हैं कि आने वाले समय में लोगों की दिलचस्पी डिजिटल और टेक्नोलॉजी कंपनियों के IPO में और बढ़ेगी। उनका अंदाजा है कि साल 2026 में कंपनियां शेयर बाजार से करीब 20 बिलियन डॉलर तक का पैसा जुटा सकती हैं। शाह का यह भी कहना है कि बड़े-बड़े IPO आने से बाजार पहले से ज्यादा मजबूत हो रहा है। साथ ही छोटे शहरों यानी टियर-2 और टियर-3—की कंपनियां भी अब IPO ला रही हैं, जिससे बाजार और ज्यादा सक्रिय और मजबूत बन जाएगा।

First Published : December 2, 2025 | 12:17 PM IST