साल 2025 की पहली छमाही के दौरान आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने संबंधी गतिविधियों में तेजी दर्ज की गई। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास जमा कराए गए आईपीओ के मसौदा दस्तावेज (डीआरएचपी) की संख्या में दोगुनी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई। आकर्षक मूल्यांकन के कारण प्रवर्तकों के बीच आईपीओ के प्रति सकारात्मक रुझान बरकरार है।
पहली छमाही के दौरान 118 कंपनियों ने अपनी पेशकश के लिए दस्तावेज दाखिल किए, जबकि 2024 की समान अवधि में यह आंकड़ा महज 52 था। इस साल अपने आईपीओ का मसौदा दस्तावेज दाखिल करने वाली कंपनियां कुल मिलाकर 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही हैं। एक साल पहले की समान अवधि में यह रकम 1 लाख करोड़ रुपये थी।
इस साल आईपीओ के लिए आवेदन करने वाली प्रमुख कंपनियों में ग्रो, पाइन लैब्स, वाटरवेज लीजर टूरिज्म, ललिता ज्वैलरी मार्ट, केनरा रोबेको ऐसेट मैनेजमेंट और फिजिक्सवाला आदि शामिल हैं। कई कंपनियों ने आईपीओ के लिए गोपनीय तरीके से भी आवेदन किया है। गोपनीय तरीके से आईपीओ के लिए आवेदन दाखिल करने की व्यवस्था हाल में शुरू हुई है।
मसौदा दस्तावेज को गोपनीय रखे जाने से कंपनियों को आईपीओ के लिए दमदार योजना तैयार करने का समय मिलता है। कंपनियों को आईपीओ लाने से पहले मसौदा दस्तावेज यानी डीआरएचपी बाजार नियामक सेबी के पास दाखिल करना होता है। इसमें पेशकश का आकार, जोखिम और वित्तीय लेखाजोखा जैसे तमाम खुलासे करने होते हैं।
आईपीओ के लिए आवेदन दाखिल करने में भले ही तेजी दिख रही हो लेकिन 2025 की पहली छमाही में आईपीओ की संख्या 24 रही जो एक साल पहले की समान अवधि में दर्ज 36 आईपीओ के मुकाबले कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि आवेदन दाखिल करने में तेजी का मतलब साफ है कि अगर बाजार में सबकुछ ठीक रहा तो साल के आखिर में बड़े पैमाने पर आईपीओ आएंगे।
साल 2025 के पहले चार महीनों के दौरान आईपीओ बाजार काफी ठंडा रहा जहां 10 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये पूंजी बाजार से 18,704 करोड़ रुपये जुटाए। उसके बाद मई और जून में आईपीओ बाजार की गतिविधियां तेज होने लगीं। मार्च पिछले दो वर्षों के दौरान एकमात्र ऐसा महीना था जब कोई आईपीओ नहीं आया। अप्रैल में महज एक सौदा हुआ।
कंपनी जगत की आय में नरमी और मूल्यांकन संबंधी चिंताओं के कारण अक्टूबर 2024 से द्वितीयक बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हो गया था जिससे आईपीओ की रफ्तार सुस्त पड़ गई। मगर कंपनियों ने मसौदा दस्तावेज दाखिल करना जारी रखा।
बैंकरों ने कहा कि आईपीओ की प्रक्रिया करीब 18 महीने की होती है। इसमें मसौदा दस्तावेज की तैयारी और सेबी से मंजूरी लेने में छह महीने लग जाते हैं। उसके बाद आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने में करीब 12 महीने और लगते हैं। ऐसे में जारीकर्ता बाजार में स्थिरता के दौरान भी अपनी तैयारी दुरुस्त रखना चाहते हैं।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक वी. जयशंकर ने कहा, ‘मार्च तक कुछ महीनों के लिए एफपीआई की बिकवाली काफी बढ़ गई थी। कंपनी जगत की आय और ट्रंप शुल्क के बारे में चिंताएं बढ़ने लगी थीं। मगर अब चिंताएं कम हो गई हैं और एफपीआई फिर शुद्ध लिवाल हो गए हैं तो घरेलू बाजार में निवेश का प्रवाह दमदार दिख रहा है। ऐसे में कंपनियां आईपीओ संबंधी योजनाओं को आगे बढ़ा रही हैं। साथ ही बाजार में मूल्यांकन भी फिलहाल काफी आकर्षक दिख रहा है।’ दूसरी छमाही में आईपीओ बाजार अपेक्षाकृत अधिक मजबूत दिख सकता है।